SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० ४, 1-10,५,१६ [४] ॥दुवई। वड-पायवु घिवेवि उम्मूलिउ पुणु ककेल्लि-तरुवरो। उभय-करेहिँ लेवि णं वाहुवलिन्दै भरह-णरवरो ॥१ आरत्त-पत्त-पल्लव-ललन्तु कामिणि-करकमलहुँ अणुहरन्तु ॥२ 5 उभिण्ण-कुसुम-गोच्छुच्छलन्तु । णं महिहें घसिण-चच्चिक्क देन्तु ॥ ३ चञ्चरिय-चारु-चुम्बिजमाणु वहुविह-विहङ्ग-सेविजमाणु ॥ ४ कङ्केल्लि-वच्छु इय-गुण-विचित्तु णं दहमुह-माणु मलेवि घित्तु ॥ ५ पुणु लइउ णाय-चम्पंउ करेण णं दिस-पायवु दिस-कुञ्जरेण ॥६ उम्मूलिउ गयणहाँ अणुहरन्तु अलि-जोइस-चक-परिब्भमंन्तु ॥ ७ । णव-पल्लव-गह-विक्षिण-पयरु उभिण्ण-कुसुम-णक्खत्त-णियरु ॥८ सो चम्पउ गयणगण-समग्गु दहवयण-मडप्फरु णाई भग्गु ॥९ ॥ घत्ता॥ चम्पय-पाय परिधिवि कड्डिय वउल-तिलय महि ता.वि । गजइ मत्त-गइन्दु जिह वे आलाण-खम्भ उप्पा.वि ॥ १० [५] ॥दुवई। चम्पय-तिलय-वउल-वडपायव-सुरतरु भग्ग जाहिँ । चउरुज्जाणपाल संपाइय गलगज्जन्त ताहि ॥१ हक्कारेंवि पर-वल-बल-गलत्थु दाढावलि धाइउ लउडि-हत्थु ॥२ जो उत्तर-वारहों रक्खवालु जो पसरिय-जस-भुवणन्तरालु ॥३ 20 जो गिल्लगण्ड-गय-घड-घरट्ठ पडिवक्ख-खलणु अखलिय-मरटु ॥४ सो हणवहाँ भिडिउ पलम्व-वाहु णं गङ्गा-वाहाँ जउण-वाहु ॥ ५. जो तेण पमेल्लिउ लउडि-दण्डु सो भन्छेवि गउ सय-खण्ड-खण्डु ॥ ६ 'सिरिसइलु वि पहसिउ पुलइयङ्गु 'वण-भङ्गहों वीयउ सुहड-भङ्गु ॥ ७ दरिसावमि' एम चवन्तएण उम्मूलिउ तालु तुरन्तएंण ॥८ 15 कु-जणुं व सुर-भायणु थड्ड-भाउ दूर-हलउ अण्णु वि' दुप्पणाउ ॥९ 4. 1s A पायउ. 2 PS उहय.3 Fधुसिणु चच्चिक्कवंतु, s घुसिणु चश्चिक्वत्, A वचिक्क. 4 A °णामु. 52s चंपय णरेण. 6 PA °चक्कु व.7 P रिभमंतु, A परिभमंतु. 8 P विच्छिन्नपहरू, विच्छिण्णपहरु. 9 P तोडेवि, S तोडिवि. 10 s चेयालाण. 11 P खंभु corrected as खंभ, s 'खंभु. 12 Pणं मोडेवि, s णं मोडिवि. 5: 1 A परवलगलसमथु. 2 Ps °लक्ख'. 8 P साहणु वहु. 4 A कुंजणु. 5 P S य. 6 P-दुप्पणासु. [४] १ अशोकवृक्षः. [५] १ हनूमंतः. २ दुःखैः नमितः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy