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________________ क० २,५८-१०; ३, १–८ ] सुरतरु-कर्य की कयुम्बम्ब-जम्बीर- जम्बुम्बरी तारूर- मालूर - आसत्थ-णग्गोहया ॥ ५ तिलय-वउल- चम्पया णागवेली-वया पिप्पली पुष्फली पाडली केयई माहवी मल्लिया माहुलिङ्गी त ॥ ६ स- फणस -लवेली-सिरीखण्ड- मन्दी गरू-सिल्हया पुत्तजीवा सिरीसेत्थियारिट्ठिया कोज्जया जूहिया णालिकेर ई ॥ ७ www हरिडइ-हरिया - लकच्चाल लावया पिक्क-वन्दुक्क- कोरण्ट-वणिक्ख-वेणू- तिसज्झा-मिरी- अल्लया ढउ-चिञ्चा-महू ॥ ८ कर्णेइर-कणियरि-सेलू-करीरा करञ्जामली कङ्गुणी - कचणा एवमाइत्ति अण्णे वि जे" पायवा केण ते वुझिया ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ पहिलउ पारिया यामि । उप्पाडेपणु हयले भौमिउ ॥ १० आहुँ पवर-महुमहुँ णं धरणि जेम करु ॥ दुवई ॥ सुरतरु परिधिवेवि उम्मूलिउ आयामेंवि भुएहिँ दहवयणें कडिङ वर पाय थरहरन्तु णं णन्दण- वणों रसन्तु जीउ णं दवणों अहिमाण- खम्भु तुट्टेन्त-सयल-घणं-मूल- जालु आरत्त - पत्त-परिघोलुमाणु कलयण्ठि-कलावाराव-मुहल सो सोहर गोह - तरु णावर गंजण वि सुन्दरकण्डं-एकवण्णासमो संधि [ २४१ लिम्व-कोसम्व-खज्जूर-कप्पूर [३] १ पक्षिविशेषः क्षिसा वा. स० प० च० ३१ [३] पुणु णग्गोह-तरुवरो । जिह कइलास-गिरिवरो ॥ १ णं वइरि रसायलें पइसरन्तु ॥ २ णं धरणि वाहा-दण्डु वीउ ॥ ३ சு पुर-पसूयणे पवर- गन्भु ॥ ४ पारोह- ललन्तु विसाल-डालु ॥ ५ ढेण्ढैर-वर-परियन्दिज्ज माणु ॥ ६ णिम्मउरु विसप्पुरिसो वँ सुहलु ॥ ७ ॥ घत्ता ॥ Jain Education International मारुय सुय-भुयलट्ठिहिँ लइयंउ । मझें पर्यागु परिट्ठि तइय ॥ ८ 15PS तरु. 16s A 'चली. 19Ps 'सिरिसेत्थिया', A सिरी 12Ps कथंवर्जवीर . 13 A जंतुंबिरा. 17PS सिरिखंड. 18Ps मंदारु', सित्थिया. 20 P रब्बई, s व्वाइ. 21 Ps लावंजया. 22 P वाणीखवेण, s वाणीक्खवेण'. 23 A° ढोभ. 24 PA कणईर 25Ps करणियारिसेल्ल. दुमह. 28 A आयामिउं. 29 P जेमणउं, A जोवणउं. 30 A भाभिउं. 3. 1 A तुरंतु, 24 घणु. 3 P दड्ढर, 7Ps पयग्गु. 8°Ps तइअउ, 4 तइउ. 14 A 'तरु A मंदागर' www 26Ps omit. 27Ps महा ढड्डर. 4 A व सहलु. 5 A लड. 6 Ps मंगहो. For Private & Personal Use Only 5 10 15 25 20 www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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