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२, ४-१०, ३, १-१०,४,१] . सुन्दरकण्डं-पण्णासमो संधि [२३३ सुमरइ मिचु सु-सामि-दया इव सुमरइ करहु करीर-लया इव ॥ ४ सुमरइ मत्त-हत्थि वणराइ व सुमरइ मुणिवरु गइ-पवरा इव ॥ ५ सुमरइ णिभृणु धण-संपत्ति व सुमरइ सुरवरु जम्मुप्पत्ति व ॥ ६ सुमरइ भविउ जिणेसर-भत्ति व सुमरइ वइयाकरणु विहत्ति व ॥ ७ सुमरइ ससि संगुण्ण पहा इव सुमरइ वुहयणु सुकइ-कहा इव ॥ ८ ॥ तिह पई सुमरइ देवि जणदणु रामही पासिउ सो दूमिय-मणु ॥९
• ॥घत्ता ॥ एकु तुहारउ परम-दुहु अण्णेक्कु वि रहु-तणयहाँ तणउ । एक्क रत्ति अण्णेकु दिणु सोमित्तिहें सोक्खु कहिं तण ॥ १०
[३] तो गुण-गण-सलिल-महाणइहें रोमञ्च पवडिउ जाणइहें । कञ्चउ फुट्टेवि संय-खण्डु गउ णं खलु अलहन्तु 'विसिट्ठ-मउ ॥ १
. (पद्धडिया-दुवई) पढमु सरीरु ताहें रोमश्चिउ पच्छऍ णवर विसाएं खश्चिउ ॥२. 'दुकर राम-दूउ एहु आइउ मछुडु अण्णु को वि संपाइउ ॥ ३ 15 अस्थि अणेय एत्थु विजाहर जे णाणाविह-रूव-भयङ्कर ॥४ संवह मई सब्भाव णिरिक्खिय चन्दणहि वि चिरु णाहिँ परिक्खिय ॥५. णं वण-देवंय थाणहाँ चुक्की “मइँ परिणों" पभणन्ति पढुक्की ॥६ णवर 'णियाणे हूअ विजाहरि किलिकिलन्ति थिय अम्हहँ उप्परि ॥७ लक्खण-खग्गु णिएवि पणट्ठी हरिणे व वाह-सिलीमुह-तट्ठी ॥
८ ० अण्णेकऍ किउ णाउ भयङ्कर हउ मि छलिय विच्छोइउ हलहरु ॥९
॥ घत्ता ॥ कहिँ लक्खणु कहिँ दासरहि आयहाँ दूअत्तणु कहिँ तणउ । - माया-रूवं पिउ करवि मणु जोअइ को वि महु त्तणउ ॥ १०.
आढवमि खेड्डे वरि एण सहुँ पेक्खहुँ कवणुत्तर देइ महु ।
माणāण होवि आसचियउ किह लवण-महोवहि लैङ्मिय' ॥ १ , 7A दुम्मिय. 8 A तणउं. •
3. 1 Ps कंचूउ. 2 Ps omit; A. reads it in the beginning. 3 P विसाएहिं। s बिसायहि. 4 PS सन्बहु. 5 P सभाउ, s सब्भाउ. 6 A परिणहुं. 7 Ps किलिकिलिंति' 8 PS मम्हहु.-9 P A दासरहिं. 10 P A तणउं. 11 A त्तणउं.
4. 18 खेड्. .2 A होइ. 3A लंघियउं. [३] १ विशिष्टमतं. २ निदानेन. ३ सिंहनादं.
सं० प. च३. .
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