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२३२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०-१०,२,१[५० पण्णासमो संधि गय मन्दोयरि णिय-घरहों हणुवन्तु वि सीयहें सम्मुहउ । अग्गएँ थिउ अहिसेय-करु णं सुरवर-लच्छिहें मत्त-गउ ॥
[१]
मालूर-पवर-पीवर-थणाएँ कुवलय-दल-दीहर-लोयणाएँ । पप्फुल्लिय-वर-कमलाणणाएँ हणुवन्तु पपुच्छिउ दिढ-मणाएँ ॥१
. (पद्धडिया-दुवई) 'कहें कहें वच्छ वैच्छ वहु-णामहाँ कुसल-वत्त किं अकुसलु रामहों ॥२
कहें कहें वच्छ वैच्छ कमलेक्खणु किं विणिहँउ किं जीवइ लक्खणु' ॥३ "तं णिसुणेवि सिरसा पर्णमन्ते अक्खिय कुसल-वत्त हणुवन्ते ॥४ 'माएँ माएँ करें धीरउ णिय-मणु जीवइ रामचन्दु स-जणदणु ॥५ णवरि परिहिउ लीह-विसेसउ तवसि व सव्व-सङ्ग-परिसेसउ॥६ चन्दु व वेहुल-पक्ख-खय-खीणउ णिवइ व रज-विहोर्य-विहीणउ ॥७ रुक्षु व पत्त-रिद्धि-परिचत्तंउ सुकइ व दुक्कर कह चिन्तन्तउ ॥८ । तरणि व णिय-किरणहिँ परिवजिउ जलणु व तोय-तुसार-परजिउ ॥ ९
॥ घत्ता ॥ इन्दु व चवण-काले ल्हसिउ दैसमिहे आगमणे जेम जलहि । खाँम-खामु परिझीण-तणु तिहँ तुम्ह विओएं दासरहि ॥ १०
[२] ॥ अण्णु वि मेयरहरावत्त-धरु सिर-सिहर-चडाविय-उभय-करु। . णिय जणणि वि एव ण अणुसरइ सोमित्ति जेम पइँ संभाइ ॥१
(पद्धडिया-दुवई) सुमरइ णिय-णन्दणु माया इव सुमरइ सिहि पाउस-छाया इव ॥ २
सुमरइ जणु पहु-मज्जाया इव ॥३ 1. 1 P पट्टयदुअई, पदृयदुवई, A. reads this in the beginning of the stanza, while at the end it reads ध्रुवकं. 2 A omits. 3 A. वत्त. 4 PS विणिहिउ. 5 P पणवंतें. 6A धीरिउ. 7 A सव्वंगिव. 8 A पक्खि. 9 P विहूइ, s °विओय. 10s विहणउ, A विहीणउं. 11 P S A किरणेहि. 12 PS दसमिए. 13 PS खामु. 14 PS तह.
2. 1A मि. 2 सिरे, 3 सिरि. 3 s सिहरि. 4 A संभरई. 5 P s omit; A reads this in the beginning. 6 P S पाउसु.
[१] १ स्त्री-विषय-संगरहितः. २ कृष्णपक्षे. ३ दसमी तिथिरेव वृद्धत्वं । तदागमप्रसिद्धमिदं । उभयदशम्यां समुद्रे मनागपि वेला न चटतीति । [२] १ लक्ष्मणः.
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