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१९,२-१०,२०,-९]
सुन्दरकण्डं-एकूणपण्णासमो संधि [२३१ जो धगधगधगन्तु वइसाणरु रक्खस-वण-तिण-रुक्ख-भयङ्कर ॥२ अण्णु वि जसु-सहाउ भड-भञ्जणु झडझडन्ति (१) सोमित्ति-पहञ्जणु ॥ ३ तेहिँ विरुद्धएहिँ को छुट्टइ जाहँ णिणाएं अम्बरु फुट्टइ ॥४ 'कण्हहाँ किण्ण परकमु वुज्झिउ खर-दूसणेहिँ समउ जें जुज्झिउ ॥ ५ चालिय कोडिसिल वि अविओलें लच्छि व गऍण गिल्ल-गिल्लोलें ॥६ । साहसगइ वि वियारिउ रामें को जगें अण्णु तेण आयामें ॥७ अहवइ रावणो वि जस-लुद्धउ . णवर चारु-सीलेण न लद्धं ॥८ चोरहों परयारियों अज्जोएवि(?) तासु सहाउ होइ "किं कोइ वि ॥९
॥ घत्ता ॥ अण्णु वि णव-कोमल-वाह जसु दिजइ आलिङ्गणउ । 10 मन्दोवरि तहों णिय-कन्तहों किह किजइ दूअत्तणउ' ॥ १०
[२०] जंपोमाइउ दासरहि णिन्दिउ रावण-वल-उवहि।
तं मन्दोअरि कुइय मणे विजु पैगजिय जिह गयणें ॥१ 'अरे अरे हणुव हणुव वल-गावहुँ दिढ होजहि एयहुँ आलावहुँ ॥२ । जइण विहाणऍ पइँ वन्धावमि तो णिय-गोते कलङ्काउ लावमि ॥३ अण्णु मि घरिणि ण होमि णिसिन्दहाँ णउ पणिवांउ करेमि जिणिन्दहों ॥४ एम भणेवि नुरिउ संचल्लिय वेल समुद्दहों जिह उत्थल्लिय ॥ ५ परिवारिंय लङ्काहिव-पत्तिहिँ पढम-विहत्ति व सेस-विहत्तिहिँ ॥ ६ णेउर-हार-दोर-पालम्वहिँ सुरधणु-तारायण-पडिविम्बेहि ॥७ पक्खलंन्ति णिवडन्ति किसोयरि गय णिय-णिलउ पत्त मन्दोयरि ॥८
॥ घत्ता ॥ . हणुऍण वि रहसुच्छल्लिऍण दुद्दम-दणु-दप्पुब्भुऍहिँ ।
णं जिणवर-पडिम सुरिन्देण पणमिय सीय सं यं भु ऍहिँ ॥ ९ .
2. धग. 3 A रक्ख'. 4 s सुहड झडंति सुमित्ति. 5 P किण्हहो, s किण्हहु, A कण्हण्हहो. 6s जे, A जहिं. 7 Ps वि. 8 P S एण. 9 P वद्धउ. 10 A पारायारिहि. 11 A होइवि. 12 PS णउ. 13 s A आलिंगणउं. 14 PS °णाहहो. 15 P A दूअत्तण, s दूयत्तंणउं.
20. 1 PS जे. 2 A दासरहिं. 3 P उवहिं, A उअहिं. 4 PS विजुप्पह गर्जिय. 5 PS लायमि. 6 P S परिवाउ. 7 PS 'डोर'. 8 P S °सुच्छल्लिभएण, 9 A सइ.
[१९] १ लक्ष्मणस्य. [२०] १ वलगत्(). २ रावणस्य. ३ प्रथम-विभक्तीव यथा शेष-विभक्तीनाम्.
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