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• २३०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०१७,२-८, १८, १-१० १९, ' 'धीरु जे धीरउ होइ णियाणे वि दुकन्तऍ जीविय-अवसाणे वि॥२ तियहें' होइ जं सीयहें साहसु तं तेहउ पुरिसंहाँ वि णं टङसु ॥३ एहऍ विहुर-काले वट्टन्तएँ सामिहे तणऍ कलत्ते मरन्तएँ ॥४
जइ मई अप्पर णाहिँ पगासिउ तो अहिमाणु मरट्ट विणासि ॥५ । एम भणेप्पिणु लडि-विहत्थउ अहिणव-पिञ्जर-वत्थ-णिय॒त्थउ ॥६ णं कणियारि-णिवहु पप्फुल्लिउ णं कलहोय-पुजु संचल्लिउ ॥७
॥घत्ता ॥ मन्दोयरि-सीयोएविहिँ कलहें पवद्धिएँ भुवण-सिरि । णं उत्तर-दौहिण-भूमिहिँ मझें परिट्ठिउ विझइरि ॥ ८
[१८] 'ओसरु ओसरु दिढ-मइहें पासहों सीय-महासइहें ।
हउँ आयामिय-पर-बलेंहिँ दूउ विसजिउ हरि-वलेंहिँ ॥१ हउँ सो राम-दूर संपाइउ
अङ्गुत्थलउ लएप्पिणु आइउ ।। २ पहरहों मइँ समाणु जइ सक्कों सीया-एविहें पासु म ढुक्कहाँ ॥ ३ 5 तं णिसुणेवि वयणु णिसिगोअरि चविय विरुद्ध कुद्ध मन्दोअरि ॥४ 'चङ्गाउ पुरिस-विसेसु गवेसिउ साणु लएवि सीहु परिसेसिउ ॥ ५ खरु संगहेंवि तुरङ्गमु वञ्चिउ जिणु परिहरेंवि कु-देवउ अञ्चिउ ॥ ६ छालउ धरेवि गइन्दु विमुक्कउ वड्डन्तरेण मित्त तुहुँ चुक्कउ ।। ७ .
एक्कु वि उवयारु ण सम्भरियउ रावणु मुऍवि रामु जं वरियउँ ॥ ८ 20 जसु णामेण जि हासउ दिजइ तासु केमै दूअत्तणु किजइ ॥९
॥ घत्ता ॥ जो सयल-कालु पुजेवउ कडय-मउड-कडिसुत्तहिँ। सो एवहिं तुहुँ वन्धेवउ चोरु 4 मिलेवि वहुत्तऍहिँ' ॥ १०
[१९] तं णिसुणेवि हणुवन्तु किह झत्ति पलितु दवग्गि जिह।
'जं पइँ रामों णिन्द कय किह सय-खण्डु ण जीह गय ॥ १ 6 P धीरउं. 7 P तियहो होवि, s तियहु होवि. 8 P पुरिसुहो वि. 9 P°णिरत्थउ. 101 °सीयाएविहे, 5 °सीयाएविहि. 11 PS पवड्डिय. 12 P S दाहिणउत्तर'.
18. 1s पद्धक्कहु. 2 PS णहगोयरि. 3 P परिहरेविणु, S परेहरे. 4 P कुसमउ, कुसमाउहु 5PS गयंदु, A गइंद. 6 PS इ. 7A संभरिउ. 8 PS जे. 9A धरिउ. 10 हासिउ. 111 केण, 12 PSA°काल. 13 PA पुजेवउ. 14 A कडिसत्तहिं. 15PA वन्धेवउ.16A वि
19: 1 Ps कह. - [१८] १ (P.'s reading) परसमउ,
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