SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क. ४,८५,१-१०,६,१-९] सुन्दरकण्डं-एकूणपण्णासमो संधि [२२३ ॥ पत्ता ॥ अप्पिजउ सीय पयतेंण आयड्डिय-कोवण्ड-करै । जाम ण पावन्ति रणङ्गणें दुजय दुद्धर राम-सरं ॥८ ॥ अण्णु विहीसणे गुण-घणउ सन्देसउ णीलहों तणउ । गम्पि दसाणणु एम भणु "विरुआरउ पर-तिय-गर्मणु ॥ १ जो पर-दार रमइ णरु मूढउ अच्छइ णरय-महण्णवं छूढउ॥२ पर-दारेण 'ति-अक्खु विणहउ जइयह चिरु दोरु-वर्ण पइट्ठउ ॥३ परदारहों फलेण कमलासणु तक्खणेण थिउँ सो चउराणणु॥४ परदारहों फलेण सुर-सुन्दर सहस-णयणु किउ णवर पुरन्दरु ॥ ५ परदारहों फलेण जिल्लन्छणु किउ स-कलङ्कु णवर मयलञ्छणु ॥६ परदारहों फलेण वइसाणरु वर-वाहिएँ उदृद्ध णिरन्तरु॥७ परदारहाँ फलेण कुल-दीवों जीविउ हिउ मायासुग्गीवहाँ ॥८ अण्णु वि करि जिह जो उम्मेद्वउ भणु परदारें को ण वि णट्ठउ ॥ ९. ॥ घत्ता ॥ अपाहिउ लक्खण-रामेहि णिय-परिहव-पड-धोवऍहिँ । पेक्खेसहि रावण पडियउ अण्णेहि दिवसेंहिँ थोवऍहिँ'॥१० [६] तं णिसुणेवि डोल्लिय-मणेण मारुइ वुत्तुं विहीसणेण । 'ण गवेसइ जं चविउ पई सयवारउ सिक्खविउ मइँ ॥१ तो वि.महारज ण किउ णिवारिउ पजलियउ मयणग्गिणिरारिउ ॥ २ ण गणइ जिण-भासिय-गुण-वयण ण गणइ इन्दणील-मणि-रयण ॥ ३ ण गणइ घर परियणु णासन्तउ ण गणइ पट्टणु पलयाँ जन्तउ ॥ ४ ण गणइ रिद्धि विद्धि सिय सम्पय ण गणइ गलगजन्त महागय ॥ ५ ण गणइ हिलिहिलन्त हय चञ्चल ण गणइ रहवर कणय-समुज्जल ॥ ६ ण गणइ सालङ्कारु स-णेउरु मणहरु पिण्डवासु अन्तेउरु ॥ ७ ण गणइ जल-कीलउ उजाणइँ जाणइँ जम्पाणइँ स-विमाण॥८ सीयहें वयणु एकु पर मण्णइ भणमि पडीवउ जइ आयण्णइ ॥ ९ 7 कोदंड. 8 P S °करु. 9s सरु. 5. 1 PS विहीसणु. 2 A °घणउं, 3 A 'तणउं. 4 PS °हरणु. 5A मूढउं. 6 A वरु जाउ च. 7 PS वाहिउ. 8.A परदारे को वि ण. 9 P पेक्खेविसहि, . पेक्खीसहि.. 6. 1 Ps पवुच. 2 P 8 सालंकार. [५] १ ईश्वरः. २ स्त्री-वेषं कृत्वा नृतेत (2) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy