________________
- २२२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०३, १-१०४,
अण्णु विहीसण एउ मुण जम्वव-केरउ वयणु सुणे । "पई होन्तेण वि चल-मणहों वुद्धि ण हुअ दसाणणहों ।
सुमण-दुअइ सुमरन्तिया ११ पइँ होन्तेण वि णारि पराईय वाहें हरिणि व रुद्ध राट्य ॥२ पइँ होन्तेण वि रावणु मूढउ अच्छइ माण-गइन्दारूढउ ॥ ३ पइँ होन्तेणं वि घोर-रउद्दों गमु सजिउ संसार-समुद्दों ॥४ पइँ होन्तेण वि धम्मु ण जाणिउ रयणीयर-वंसहीं खउ आणिउ ॥५ पइँ होन्तेण वि णिय-कुलु मइलिउ वउ चारित्तु सीलु णउ पालिउ ।। ६ 10 पइँ होन्तेणं वि लङ्क विणासिय सम्पय रिद्धि विद्धि विद्धंसिय ॥ ७
प होन्तेण वि लग्गुम्माऍहिँ चउविहेहिँ उद्धद्ध-कसाएहिँ ॥८ पइँ होन्तेण वि ण किउ णिवारिउ एउ कम्मु लजणउ णिरारिउ ॥९
॥ धत्ता ॥ जस-हाणि खाणि दुह-अयसहुँ इह-पर-लोयहाँ जम्पणउँ । अप्पिजंउ गेहिणि रामहों किं लज्जावहों अप्पणउ" ॥ १०
[४] अण्णु परजिय-पर-चलहों सुणि सन्देसउ तहों णलहाँ। "अइरावय-कर-करयलॅहिँ कवण केलि सहुँ हरि-वलेंहिँ ॥
सुमण-दुअइ सुमरन्तिया ॥१ 20 सम्वुकुमारु जेहिं विणिवाइउ तिसिरउ जेहिँ रणङ्गणे घाउ ॥२
जेहिँ विरोलिउ पहरण-जलयरु खर-दूसण-साहण-रयणायरु ॥३ रहवर-णक-ग्गाह-भयङ्कर पवर-तुरङ्ग-तरङ्ग-णिरन्तरु॥४ वर-गय-भड-थड-वेला-भीसणु धय-कल्लोल-वोल-संदरिसंणु ॥ ५
तेहउ रिउ-समुदु रणें घोहिउ साहसगइ कप्पयरु पलोट्टिउ ॥६ 23 कोडि-सिल वि संचालिय जेहिँ किह किज्जइ विग्गह सहूँ तेहिँ ॥ ७ .
3. 1 Ps A पइ. 2 Ps सुमणसदुभइ सरंतिया. 3 A पराई. 4 A वराई. 5A होतेण. 6 A याणिउं. 7 A माणिउं. 8 A. omits this line. 9 P °कसाएहि, s °कसायहि. 10 A लजणिउं. 11 S. omits this word. 12 P°आयसुहु, S अयसुहु, A अयसहु. 13 PA जंपणउं..14 S अप्पिजइ. 150P लज्जावहु, S लज्जावहि. 16 A अप्पणउं, .
4. 1 P सुणु. 2 A. omits this refrain. 3 P S A °साहणु. 4 P S वर (P वड) गयघडवेलाभीसावणु. 5 P8 °दरिसावणु. 6 PS सहु विग्गहु, A विग्ग बहु. ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org