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________________ २१६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ हा ताय समरें भड थड - णिसुम्भ 25 'सुपि चडिय महारहे । हर- हथिय सहँ सुर-चार्वेण 10 धुरें अर परिट्ठिय रहु पयड्डु तहिँ चšवि पधाइय रणें पचण्ड सूरहों सण्णद्ध व काल - रत्ति हक्कारिउ र हणुवन्तु 'तीऍ मुह - कुहर - विणिग्गय कडुअ-वाय जं हय आसलिय हिउ ताउ 18 अइराऍ स-हत्थे हिउ मुंह लइ धणुहरु रहवरें चडहि तुहुँ 'हणुवह वयहिं हसि - विभमु परियणभि तं णिसुर्णेवि भड - कर्डमद्दर्णेण 'ओसरु मं अग्गऍ थाहि महु लावण 'एउ काइँ चविउ इँ दुबियडु किंण मरइ रु विस- दुम-लयाऍ [क० ७, ८–९, ८, १–९१ ९,1-8 सप्पुरिस- रयण अहिमाण खम्भ' ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ कुई किसोयरि । लङ्कासुन्दरि ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥ ४ ॥ १ agar | णं पाउस - सिरि ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥ ४ ॥ २ पर-वल-विणासु अखलिय-मरड्डु ॥ ३ मायङ्गहों करिणि व उद्ध-सोण्ड ॥ ४ सद्दों थक्क व पढमा विहन्ति ॥ ५ पञ्चाणणु जिह पञ्चाणणीऍ ॥ ६ 'वलु वलु दहवयणों कुद्ध-पाय ॥ ७ तं जुज्झु अज्जु खय-कालु आउ' ॥ ८ 'हले काइँ गहिल्लिएँ रुअहि तुहुँ । वलु वुज्झहुँ जुज्झहुँ तेण सहुँ' ॥ ९ Jain Education International [<] ॥ घत्ता ॥ णिब्भच्छिय पवणहों णन्दण । कहें कहि मि जुज्झु कण्णाऍ सहुँ' ॥ ९ [ ९ ] पर्वर-धनुद्धरि लङ्कासुन्दरि ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥ ४ ॥ १ तुहुँ वहु-जाणे । [2] १ तथा लंकासुंदर्या. [९] १ अग्निकणिकया. २ नर्मदा-नया. वरि अयाणउ ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥ ४ ॥ २ किं जलण - 'तिडिक्कऍ तरु ण दें ॥ ३ किं विञ्झु ण खण्डिड णम्मयाऍ ॥ ४ 7Ps लुहियउ. 8 A मुहुं. तेन चिते. 4 A धणुवर 8 P जुज्झि, s जुज्झे. 9A 8. 1P has जंभेहिया, 8. जंभिट्टिया in the beginning. 2 P रुहय. 3 A देन 5s णुब्भाविरि, 10 णुग्गामिणि 6 A चिते. 7 A आसाली. कडवंदणेण. 10 A किं, 8 कहि. 9. 1 P. begins with जंभेट्टिया ॥, s with जंभिट्टिया ॥ . 2 Psहणुवंत हो. 3PS पवल° 4 A सिब्भम. 5 PSA हउ 6 परिमाणभि, A पणिआरभि. 7 A जाणउ . & P 3, 8 इउं. 9PS दुदियड्डू. 10 A डड्डू. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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