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कं०५, ९,६,१-९,७,१-७] सुन्दरकण्डं-अट्टचालीसमो संधि [२१५
• ॥घत्ता ॥ आयामेंवि भिउडि-भयङ्करेंण हउ हयमुहु हणुवहाँ किङ्करण । गय-धाऍहिँ पाडिउ धरणियलें किउ कलयलु देवेंहिँ गयणयलें ॥९
[६] जं गय-घाएँहि पाडिउ हयमुहु। . कुइउ खणरेण मणे वजाउहु।।तेन तेन तेन चित्तें॥४॥१ णिट्टर-पहरेंहिँ . हणुवहाँ केरउ।
भग्गु असेसु वि वलु विवरेरउ॥तेन तेन तेन चित्तें॥४॥२ भजन्तएँ साहणे णिरवसेसे हणुवन्तु थक्कु पर तहिँ पर्सें ॥३ पञ्चमुह-लील रणे दक्खवन्तु 'मं भजाँ' णिय-वलु सिक्खवन्तु ॥४॥ उत्थरहुँ लग्गु णिरु णिट्टरेहिँ __ असि-कणय-कोन्त-गय-मोग्गरेहिँ॥५ वज्जाउहो वि दण-दारणेहि वरिसिउ णाणा-विह-पहरणेहिँ॥६ तहिँ अवसरें गोल्लिय-भुएण आयामवि पवणञ्जय-सुएण ॥७ पम्मुकु चक्कु रणे दुण्णिवारु दुद्दरिसणु मीसणु णिसिय-धारु।। ८.
॥घत्ता ॥ तें चक्के रणउहें अतुल-चलु उच्छिण्णेवि पाडिउ सिर-कमलु। धाइउ कवन्धु अमरिसे चडिउ दस-पयइँ गम्पि महियले पडिउ॥९
[७] जं हणुवन्तेंण हउ वजाउहो । सयलु वि साहणु भग्गु परम्मुहो ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥४॥ १20 गउ विहडप्फडु जहिँ परमेसरि । __ अच्छइ लीलऍ लङ्कासुन्दरी ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥४॥२ 'किं अज्ज वि ण मुंणहि एव वत्त आसाल-विज्ज आहवें समत्त ॥ ३ अभिट्ठ तुहारउ जणणु जो वि रणे चक्क-पहारें णिहउ सो वि' ॥४ तं णिसुणेवि अमर-मणोहरीऍ धाहाविउ लङ्कासुन्दरीऍ ॥५ 'हा मइँ मुएवि कहिँ गयउ ताय हा कलुणु रुअन्तिहें देहि वाय ॥ ६ हां ताय सयल-भुवणेक-चीर पर-वल-पर्वल-गलथण-सुरीर ॥ ७ 17 Pघाएं, 5 घायं. ... 6. 1A पहरणेहिं. 2 P'S A तहि. 3 P पवेसे, s पवेसि. 4 P A पमुक्क, s पमुक्क. 5 s उच्छिण्णिवि, A उच्छेल्लेवि. 3 P S अमरिस. 7 P चडिउं.
7. 1 A बजाउहु. 2.4 परामुहूं. 3 A चिंते. 4 A सुणहिं. 5 •P S A मइ. 6 P °कलगल. स्थण' corrected as °पवल,' s °वलगलस्थण, A only गलथल्लण
[७] १ कोटपाल पुत्री एषा. २ तस्याः सखी अइरा-नामा.
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