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२१०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
मणे चिन्तेप्पिणु णिम्मल-भावें सायर-सलिलु सन्धु आकरिसिउ हुअवहु उल्हाविउ. पजलन्तउ 'तं उवसग्गु हरेंवि रिउ-मद्दणु
कर-कमलेहिँ पाय पुजेप्पिणु मुणि-पुङ्गवहिँ समुच्चाऍवि कर तहिँ अवसरे विजउ साहेप्पिणु तिणि वि कण्णउ सालङ्कारउ
क०७, १-९,८, -६ [७] मारुइ-णिम्मिय-विज-पहावें ॥१ मुसल-पमाणेहिँ धारेंहिँ परिसिउ ॥२ खम-भावेण कलि व वहन्तं ॥ ३ गउ मुणिवरहुँ पांसु मरु-गन्दणु ॥४ वन्दिय गुरु गुरु-भत्ति करेप्पिणु ॥५ हणुवहाँ दिण्णांसीस सुहङ्कर ॥६ मेरुहें पासेंहिँ भामरि देप्पिणु ॥ ७ अहिणव-रम्भ-गब्भ-सुकुमारउ ॥८
॥ घत्ता
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भह-सुभईहँ चलण णमन्तिउ हणुयहाँ साहुकार करन्ति । अग्गएँ थियउ सहन्ति सु-सीलउ णं तिहुँ कालहुँ तिण्णि वि" लीलउ ॥९
[८] पुणु वि पसंसिउ सो' पवणञ्जइ . 'सुहड-लील अण्णहों' कहाँ छज्जइ ॥१ tus चङ्गाउ पइँ वच्छल्लु पासिउ उवसग्गहों गाउं मि णिण्णासिउ ॥२
एत्तिउ जइ ण पत्तुं तुहुँ सुन्दर तो णवि अज्जु अम्हें णविमुणिवर ॥३ तं णिसुणेवि मारुइ गञ्जोल्लिउ दन्त-पन्ति दरिसन्तु पवोल्लिउ ॥४ 'तिण्णि वि दीसंहों सुह विणीयउ कवणु थाणु कहाँ तिणि विधीयउ ॥५ किं कजें वण-वासें पइटउ केण वि कउ उवसग्गु अणिद्वउ' ॥६ हणुवहाँ केरउ वयणु सुणेप्पिणु पभणइ चन्दलेह विहसेप्पिणु ॥ ७ 'तिण्णि वि दहिमुह-रायहों धीयउ छुडु छुडु अङ्गारेण वि वरियउँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ तहिँ अवसरें केवलिहिँ पगासिउ "दससयगइहें मरणु जसु पासिउ । कोडि-सिल वि जो संचालेसइ सो वरइत्तहाँ भाइउ होसई" ॥९ ।
7. 1 PS सायरु. 2 P भावेण व कलि, °भावे जिह कलि. 3 P पासि. 4 A हत्ति. 5 Ps दिण्णी सीस. 6 PS पासें. 7 P कण्णउं. 8 P °सुभद्दहु, सुभदहो. 9 P s णवंतिउ. 10 P तिहि कालहिं, s तिहि कालहि. 11 P जे, s जि.
8. 1 P कण्णहिं मारुइ: 2 2 अण्णहिं किं, S अण्णइ कों. 3 8 तइ. 4 पगासिउ. 58 जाउ वि, A नाउं मि. 6 P इंतु, 8 यंतु. 7 PS अम्हि 3, A नवि. 8 P दीसहुँ, s दीसहु. 9PS वरीयड.
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