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कं०९,१-९, १०, १-९] सुन्दरकण्डं-सत्तालीसमो संधि [२११ .
[९] एम वत्त गय अम्हहुँ कणे तें कजेण पइट्ठउ रणे ॥१ वारह दिवस एत्थु अच्छन्तिहुँ तीहि मि पुजारम्भु करन्तिहुँ ॥२ ताम वरेण तेण आरुढ़ें . उववणे दिण्णु हुआसणु दुढें ॥ ३ तो वि ण चित्तु जाउ विवरेरउ । एउ कहाणउ अम्हहुँ केरउँ' ॥४ तो एत्थन्तरें रोमश्चिय-भुउ भणइ हसेप्पिणु पवणञ्जय-सुन ॥५ 'तुम्हेंहिँ जे चिन्तिउ तं हूअउ• साहसगइहें मरणु संभूअउ ॥ ६ जसु पासिउ सो अम्हहुँ सामिउ तिहुअणे केण वि णउ आयामिउ ॥७ जाहुँ पासु पुजन्तु मणोरह' वट्टइ जाम परोप्पर इय कह ॥ ८
॥घत्ता ॥ दहिमुह-राउ ताव स-कलत्तउ पुप्फ-णिवेय-हत्थु संपत्तउ । गुरु पणवेवि करेवि पसंसणु हणुवें समउ कियउ संभासणु ॥ ९
[१०] संभासणु करेवि तणु-तणुवें दहिमुह-राउ वुत्तु पुणु हणुवें ॥१ 'भो भो णरवइ महिहर-चिन्धहों कण्णउ लेवि जाहि किक्किन्धों ॥२ ।। तहिँ अच्छइ णारायण-जेट्टउ जो वरु चिरु केवलिहिँ गविट्ठउ ॥ ३ घाइउ तेण समरे साहसगइ वेयङ्गुत्तर-सेढिहें णरवइ ॥४ । ताउ कुमारिउ अहिणव-भोग्गउ तिणि वि राहवचन्दहाँ जोग्गउ ॥ ५ म. पुणु लङ्काउरि जाएवउ पेसणु सामिहें तर्णउ करेव्वउ' ॥६ तं णिसुणेवि संचलिउ दहिमुहं जो संमाणे दाणे रणे अहिमुह ॥ ७ , तं किक्किन्ध-णयरु संपाइउ जम्बव-णल-णीलेंहिँ पोमाइउ ॥८
॥ घत्ता ॥ गम्पिणु भुवण-विणिग्गय-णामों सुग्गीवें दरिसाविउ रामहौँ । तेण वि कामिणि-थण-परिवंड्डणु दिण्णु सं यं भु एहिँ अवरुण्डणु॥९
9. 1. Ps एह. 2 A कने. 3 A रण्णे. 4 F S एहु. 5_PA कहाणउं. 6 P केरर्ड. 7 PS तुम्हें. 8 P SA अम्हहुँ. 9 P A सामिउं. 10 A आयामिउं..11 A पूरंतु. .
10. 1A तणएं, P marginally तणएं. 28 °चिंधहुँ. 3 P S ताव. 4 P सामिहि,s सामिहि. 5 4, तण- दहेमुहूं, A दहिमुहूं. 7 P S परिवहणु. 8 A सई.
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