________________
*०५, १-, ३,१-६]
सुन्दरकण्डं-सत्तालीसमो संधि
१२०९
।
किडिकिडिजन्त-'मिलिम्मिलि-लोयण लम्विय-भुअ परिवजिय-भोयण ॥१ जल्ल-मलोह-पसाहिय-विग्गह णाण-पिण्ड परिचत्त-परिग्गह ॥२ थिय रिसि पडिमा-जोएं जाहिँ अट्टमु दिवसु पढुक्किउ ताहिँ ॥३ तहिँ अवसर दिय-लोलुअ-चित्तहाँ केण वि गम्पि कहिउ घरइत्तहों ॥४ 'देव देव तउ जाउ मणिट्ठउ तिणि वि कण्णउ रण्णे पइट्टउ ॥५ अण्णु ताहिँ वरइत्तु गविट्ठउ • तुहुँ पुणु मुहियऍ जें परितुट्ठ' ॥६ तं णिसुणेवि कुविउ अङ्गारउणं हवि धिऍण सित्तु सय-वारउ ॥७ 'भञ्जमि अज्जु मडप्फर कण्णहुँ जेण ण होन्ति मज्झुण वि अण्णहुँ'॥८
॥ घत्ता ॥ अमरिस-कुद्धउ'कुरुडु पधाइउ गम्पिणु वणे वइसाणरु लाइउ। . धगधगमाणु समुट्टिउ वण-दउ झत्ति पलित्तु णाई खल-जण-वउ ॥९
[६] पढम-दवग्गि ढुक्कु 'सिप्पीरहों णाइँ किलेसु णिहीण-सरीरहों ॥१ सयलु वि काणणु जालालीविउ रामहों हियउ णाई संदीविउँ ॥२. कत्थइ दारु-वणाई पलित्तइँ णं वइदेहि-दसाणण-चित्तइँ ॥३ सुक्केहि मि असुक्क पजलाविय णं सुपुरिस पिसुणेहिँ संताविय ॥४ कहि मि पणट्ठ. वणयर-मिहुणइँ कन्दन्तइँ णिय-डिम्भ-विहूणइँ ॥५ गम्पि मुणिन्दहुँ सरणु पइट्टइँ सावय इव संसारहों तट्टइँ॥६ तहिँ अवसर गयणगणे जन्तें खञ्चिउ णिय-विमाणु हणुवन्तें ॥७ "मरु मरु लाइउ केण हुवासणु अच्छउ गमणु करमि गुरु-पेसणु ॥८
15
॥
॥घत्ता
॥
अह सरणाइऍ अह वन्दिग्गहें सामि-कजे अहं मित्त-परिग्गहें। आऍहिँ विहुरेहिँ जोणउ जुज्झइ सो णरु मरण-सए विण सुन्झई॥९
5. 1. PS मिडिम्मिडि and P. superscribes लि over डि. 2 P चिंतहो. 3 PS कहिउ गंपि. 4 PS A ताहि. 5,P मुहिअ, S सुहिमइ. 6 s A कुइड. 7 PS मज्झु होति, A होति.
6. 1PS A णाई. 2 A. omits this word. 3 s दारुणवणइ. 4 s मुनिंदहु, A मुणिं. दहो. 5 P संभारहो भट्टइ. 6 A विग्गहे. 7 P S णिय. 8 P S भायहो. [५] १ स्त्रीलंपटः. २ एवमेव. ३ क्रूरचित्तः. [६] १ सुष्क-तृणस्य. २ देवदारु-वनानि. ३ साद()वनस्पती.
स०प०च० २७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org