________________
२०८] सयम्भुकिड पउमचरित
[क०३,१-
९१-८ [३] गुरु-वयणेण तेण अइ भाविउ मणे गन्धव-राउ चिन्ताविउ ॥१ 'साहसगइ वहु-विजावन्तउ तेण समाणु कवणु पहरन्तउ ॥२
अहवइ एउ वि णेउ वुझिजइ गुरु-भासिएँ सन्देहु ण किजइ ॥ ३ 'जम्म-सए वि पमाणहाँ दुक्का मुणिवर-वयणु ण पल' वि चुक्कइ ॥४
अवसें कन्दिवसु वि सो होसइ साहसगइहें जुज्झु जो देसई॥५ . तं णिसुणेवि लडह-लायणहिँ णिय-जणेरु आउच्छिउ कणेहि ॥६ 'भो भो ताय ताय दण-दारा लइ वण-वासहों जाहुँ भडारा ॥७ करहुँ किं पि वैरि मन्ताराहणु जोग्गब्भासें विजासाहणु' ॥८
॥ घत्ता ॥ एवं भणेप्पिण चल-भउहालउ मणि-कुण्डल-मण्डिय-गण्डयलउ । गम्पि" पइउ विउल-वणन्तरें णाइँ ति-गुत्तिउ देहन्भन्तरें ॥९
[४] तं व तिहि मि ताहिँ अवयजिउ 'णं भव-गहणु असोय-विवजिउ ॥ १. णं णित्तिलउ थेरि-मुह-मण्डलु णं णिचूयउ कण्ण-उरत्थलु ॥२ णं णिप्फलु कुसामि-ओलग्गिउ णं णित्तालु अ-णवण-वग्गिउ ॥३ णं हैरि-घर पुंण्णाय-विवजिउ णं णीसुण्णु वैउद्धहुँ गजिप ॥४ जहिँ वोराहिउ कामिणि-लीलउ मण्ड मण्ड उव्वीरण-सीलउ ॥५ जहिँ पाहण वलन्ति रवि-किरणेंहिँ णं सजण दुजण-दुधयणेहिं ॥६ " तहिँ अच्छन्ति जाव वणे वित्थएँ ताव पदुकिय दिवसें चउत्थऍ॥७
॥धत्ता॥ चारण पवर-महारिसि आइय भद्द-सुभद्द वे वि वेराइय। .. कोसहों तणेण चउत्थें भाएं अट्ठ दिवस थिय काओसाएं ॥८
3. 1 Ps णवि. 2 P भासियइ. 8 भासियई. 3 Ps कयावि ण, A न पलए वि.42 कंहिवसु इ, s कविसु इ, A कंदिवसु वि. 5 s वणवासहु, A वणवासहुं. 6 5 वर. 7 8 जोग
भासें, जोग्गाभासें. 8 P एवं. 9 P गंडयलु, गंडयगंडय. 19 A. omits गंपि पह. ____4. 1 P वयणु. 2 A. omits this pāda. 3 s वउद्धहु, A वउद्धहं. 4 गोराहिल. 5 P विराइय. 6 PS चउस्थए, A चउत्थे. 7 8 भाएण. 8 s काओसाएण.
[४] १ शोकसंयुक्तः, अन्यत्र वृक्षाः. २ खनास्वाभ्यां रहितम्. ३ खर्गः. ४ राक्षस-रहितः, ५ मेघैः (१). ६ वेरि-अधिकाः बहु-पुत्राः सूर्यः. ७ विदारणं चूण्णणम्. ८ पाद-क्रोश मध्ये.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org