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क. १,४-१२, २, ५-९] सुन्दरकण्डं-सत्तचालीसमो संधि [२०७ जहि ण कयावि तलायइँ सुक्कइँ णं सीयलई सुट्ट पर-दुक्खइँ ॥४ जहिँ वाविउ विथय-सोवाणउ णं कुगइउ हेट्ठामुह-गमणउ ॥ ५ जहिँ पायार ण केण वि लडिन्य जिण-उवएस इँ गुरु-संधियं ॥ ६ जहिँ देउलई धवल-पुण्डरियइँ पोत्था-चायण व वहु-चरियइँ ॥७ जहिँ मन्दिरइँ स-तोरण-वार णं समसरणइँ सुप्पडिहार.॥८ जाहिँ 'भुर्व-णेत्त-सुत्त-दरिसावण हरि-हर-वैम्भहिँ जेहा आवण ॥ ९ जहिँ वर-वेसउ तिणेयण-रूवउ • पवर-भुअङ्ग-सऍहिँ अणुहूअउ ॥ १० 'जहिँ गयणत्थ-वसह-हलहर-मइ राम-तिलोयण-जेहा गहवइ ॥ ११
॥धत्ता॥ तहिँ पट्टण वहु-उर्वमहँ भरियऍ णं जगें सुकइ-कव्वें वित्थरियएँ। । . सहइ स-परियणु दैहिमुह-राणउ णं सुरवइ सुरपुरहों पहाणउ ॥ १२
[२] तहों अग्गिम महिसि 'तरङ्गमइ णं कामहो रइ सुरवइहें सइ ॥१
आवन्तऍ जन्तऍ दिण-णिवहें उप्पण्णउ कण्णउ तिणि तहें ॥२. विजुप्पह चन्दलेह वाल
अण्णेक तहाँ तरङ्गमाल ॥३ तिणि विकण्णउ परिवडियउ णं सुकइ-कहउ रस-वड्डियउ ॥४ वहु-दिवसेंहिँ सुरय-पियारऍण पट्टविउ उ अङ्गारऍण ॥ ५ 'जई भल्लउ दहिमुह माम महुँ तो तिण्णि वि कर्णणउ देहि लहु' ॥६ तेण वि विवाहु सङ्गच्छियउ कल्लाणभुत्ति मुणि पुच्छियउ ॥७ 'कहीं धीयउ देमि ण देमि कहों' मुणिवरण वि तक्खणे कहिउ तहाँ ॥८॥ . . .
॥धत्ता ॥ 'वेयङत्तर-सेढिहें राणंउ साहसगइ-णामेण पहाणउ । • जीविउ तासु समरें जो लेसइ तिण्णि वि कणंउ सो परिणेसई'॥ ९. 5 Psurerscribes र over °य. 6 SA गमणउं. 7 PS A णाइ. 8 Ps लंधिय. 9P8 °वायरण इव and p. marginally 'वायणइ इव' पाठे. 10 PS सपरिवारइ. 11 PS A जहि. 12 A भुयं.13 P वम्हेहि, s वंम्हेहि. 14 s उवमहु 15 PS राणउं. 16 A सुरवरह. 17 A पहाणउँ.
2. 1 PS उप्पण्णड. 2 P corrects as अण्णेक्का. 3 P ताहं, 5 महा. 4s परियड्डिय उ, A 19. The remaining characters as also the first four characters of the next line dropped through haplography.5 5 महुं. 6 s कण्णउं. 7 PS कहि. 8 P तउ. 9 PS A राणउं. 10 P S A पहाणउं. 11 P समरि तासु, समरे तासु. 12 s कण्णउं. २ प्रधानानि. ३ भुयहि (३) हस्ताश्च. ४ वस्नविशेषः नयनश्च. ५ ईश्वरः. ६ आकाशगामी वृषभो यस्य । अन्ये च विलम-नाथा वृषभा यस्य । गत-नाथा वृषभाः । प्राप्त-नाथा वा. ७ गृहपतिः. ८ दधिमुख-राजा. [२] १ राज्ञी तरेगनती. २ विवाहं ख-मानसे धूत्वा.
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