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________________ २०६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० ११, १०, १२, १-१०,१, १-२ ॥ पत्ता॥ को पडिमल्लु तउ तुहुँ केणऽवरेणोलुद्धउँ।. णिय पह परिहरइ कि मणि चामियर-णिवद्ध' ॥ १० [१२] कह वि कह वि मणु धीरिउ विजाहर-णरिन्दहो । 'ताय ताय मिलि साहणे' गम्पिणु रामचन्दहो ॥ १ वडारउ किउ उवयारु तेण मारिउ मायासुग्गीउ जेण ॥२ को सका तहों पेसणु करेवि मिलु रामों मच्छरु परिहरेवि ॥ ३ उवयार करेवउ मइ मि तासु जाएंवउ लङ्काहिवहाँ पासु ॥४ ॥ हणुयहाँ एयइँ वयणइँ सुणेवि माहिन्दि -महिन्द पयट्ट वे वि ॥ ५ सुग्गीव-णयरु णिविसेण पत्त वलु पुच्छइ 'ऍहु को जम्बवन्त ॥ ६ किं वलेंवि पडीवउ पवण-जाउ असमत्त-कन्जु हणुवन्तु आउ' ॥ ७ मन्तिणं पवुत्त 'णरवर-मइन्दु अञ्जणहें वप्पु ऍहु सो महिन्दु'॥८ वल-जम्वव वे वि चवन्ति जाम सर्वडम्मुहु आउ महिन्दु ताम ॥ ९ ॥ घत्ता॥ हलहर-सेवऍहिँ सबहिँ एकेक-पचण्डैहिँ। अग्घुच्चाइयउ दिढ-कढिण से ई भु व-दण्डेंहिँ ॥ १० [४७. सत्तचालीसमो संधि ] मारुइ पवर-विमाणारूढउ अहिणव-जयसिरि-वहु-अवगूढउ । सामि-कजें संचल्लु महाइउ लीलऍ दैहिमुह-दीउ पराइउ ॥ . [१] मण-गमणेण तेण ण, जन्तें दैहिमुहणयरु दिट्ट हणुवन्ते ॥ १ दिवाराम' सीम चउ-पासेंहिँ धरिउ णाइँ पुरु रिणिय-सहासेंहिँ ॥२ हिं पप्फुल्लियाइँ उजाणइँ वड्डइँ णं तित्थयर-पुराण ॥ ३ 6A केण करेण. ZP °णोद्धउ. 8 s पह रइ. 9 Ps चामीयरे वद्धउ. 12. 1 PS गंपिणु साहणे. 2 Ps वि. 3 s जायेव्वउ. 4 A माहिंद. 5 A एयहो. 6 P मंतीण corrected as मंतेण, S मंतीण. 7 Ps वुत्तु. 8 P सवडम्मुहुँ, s सवडंम्मुहु, A सवडम्मुहो. 9 P°पयंडेहिं, °पयंडेहि. 10 P. omits, S सयं. 1. 1 P दहमुहणयरु, s दुहिमुहणयरु. 2 8 दिढ रामसीमा. 3 A निसिय'. 4 PS जाहि. A जहि. [१] १ दधिमुख-नाम-विद्याधरस्य. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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