SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०,४-१०,११,१-९] सुन्दरकण्डं-छायालीसमो संघि [२०५ . जो दस-दिसा-वलय-परिचत्त-गय-णामु .जो मत्त-मायङ्ग-कुम्भत्थलायामु ॥४ जो पवर-जयलच्छि-आलिङ्गणावासु • जो सयल-पडिवक्ख-दुप्पेक्ख-णिण्णासु ॥ ५ जो कित्ति-रयणायरो जस-जलावत्तु - जो वीर-णारायणो जयसिरी-कन्तु ॥ ६ । जो सयण-कप्पहुमो सच्च-अचलेन्दु ___ जो पवर-पहरण-फडा-डोय- अइन्दु ॥७ जो माण-विझइरि अहिमाण-सय-सिहरु धणुवेय-पञ्चाणणो वाण-णहणियरु ॥८ जो अरि-कुरङ्गोह-णिट्ठवण-दुग्घोडे पडिवक्ख-जलवाहिणी-सिमिर-जल-घोड॥९ ॥ पत्ता ॥ जो केण वि ण जिउ आसङ्क-कलङ्क-विवजिउ । सो हउँ आहयणे पइँ एकें णरि परंजिउ ॥ १० [११] एउ वयणु णिसुणेप्पिणु दुइम-दणु-विमहणो । . .'कवणु एत्थु किर परिहवु' भणइ घेणारिणन्दणो॥१ 'तुहुँ देव दिवायरु तेय-पिण्डु हउँ कि पि तुहारउ किरण-सण्डु ॥२ तुहुँ वर-मयलञ्छणु भुवण-तिलउ हउँ किं पि तुहारउ जोण्ह-णिलउ ॥ ३ तुहुँ पवर-समुदु समुद्द-सारु हउँ" किं पि तुहारउ जल-तुसार ॥ ४ तुहुँ मेरु-महीहरु महिहरेसु हउँ कि पि तुहारउ सिल-णिवेसु ॥५ तुहुँ केसरि. घोर-रउद्द-णाउ हउँ कि पि तुहारउ णह-णिहाउ ॥ ६ .. तुहुँ' मत्त-महग्गउ दुण्णिवार हउँ' किं पि तुहारउ मैय-वियार ॥७ तुहुँ माणस-सरवर सारविन्दु ___हउँ कि पि तुहारउ सलिल-विन्दु ॥ ८ तुहुँ वर-तित्थयरु महाणुभाउ हउँ कि पि तुहारउ वय-सहाउ ॥९ 5 F5 परियत्त.' 6 PS नारायणा. 7 F विवजिनउ, विवजियउ. 8 5 गवर, A समरे. 9 परजिमड, परजियड. 11. 1 इकु. 2 5 तुइ. 8A omits this and the following padas upto line 8. 4 P 3 हउ. 5 Ps तुहु: [१०] १ सत्य-मेरुः. २ धरणेद्रः. ३ शिखरः. [११] : हनूवतः, २ भ्रमरः. ३ लक्ष्मीयुक्तारविंदः (१). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy