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________________ २०४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ एव वोल्ल सुर-सत्थें जाहिं उडिओ सरासण-विहत्थओ [क०८,८-१०,९,१-१०,१०,हणुउ हूउ सज्जीउ ताहिं ॥८॥ सरवरेहिँ किउ रिउ णिरस्थओ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ मंण्ड कइद्धऍण सर-पञ्जरें छुहेंवि रउदें। • धरि महिन्दु रणे णं गङ्गा-वाहु समुद्दे ॥ १० [९] कुद्धएण सेमरगणे माया-वैइर-हेउणा । धरिय वे वि माहिन्दि-महिन्द कइद्ध-केउणा ॥१ माणु मलेवि करेंवि कडमंदणु चलणेहि पडिउ समीरण-णन्दणु ॥२ " 'अहाँ माहिन्द माम मरुसेजहि जं विमुहिउ तं सयलु खमेजहि ॥३ अ) अहों ताय ताय रिउ-भञ्जण णिय-सुय तं वीसरिय किमञ्जण ॥४ हउँ तहे तणंउ तुज्झु दोहित्तउ णिम्मल-वंसु समुजल-गोत्तउ ॥५ भग्गु मरट्ट जेणं रणें वरुणों हउँ हणुवन्तु पुत्तु तहों पवणहाँ ॥६ पेसिउ अब्भत्थेवि सुग्गीवें . रामों हिउ कलत्तु दहगीवें ॥७ "अ-कजे संचलिउ जाहिँ पट्टणु दिट्ट तुहारउ ताहिँ ॥८ माया-वइरु असेसु विवुज्झिउ तें तुम्हहिँ समाणु मइँ जुझि॥९ ॥ पत्ता ॥ तं णिसुर्णेवि वयणु विजाहर-णयणाणन्दें। • णेह-महाभरण मारुइ अवगूदु महिन्दे ॥१०॥ [१०] 'साहु साहु भो सुन्दर सुउ सच्चउ जे पवणही। पइँ मुएवि सुहडत्तणु अण्णहों होइ कवणहो ॥ १ जो सत्तु-सङ्गाम-लक्खेहिँ जस-णिलउ . " जो उभय-कुल-दीवओ उभय-कुल-तिलउ ॥२ जो उभय-वंसुजलो ससि व अकलङ्क __ जो सीहवर-विक्कमो समरें णीसङ्क ॥ ३ -6SA मं. 78 पूरिउ. 9. 1 PS समरंगणेण. 2 s कइद्धरकेउण. 3 A कडवंदणु. 4 A माहिदि. 5 PA मरुसेजाहि. 6PS खमेजहि, A खमिजहि. 7 SA तणउं, 8 Ps जेण वइसवणहो, A रणि, and P margally रणि वरुणहु. 9 PS तुम्हहि, A तुम्हहं. 10 PS महब्भरेण. ____10. 1 पहावणहो. 2 P S उहय. 3 Ps 'कुलदीवउ. 4 णिस्संकु, णस्संक. [१] १ माता अंजणा. २ वइर-हेतुना. ३ मातांजनायाः वैरै स्मृत्वा. ४ भालिंगित. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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