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१९८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १३,२-१०,१४,... एकहिँ णिविट्ट हणुवन्त-राम मण-मोहण णाई वसन्त-काम ॥२ जम्बव-सुग्गीव सहन्ति ते वि णं इन्द-पडिन्द वइट्ट वे वि ॥ ३ सोमित्ति-विराहिय परम मित्र णमि-विणमि णाई थिर-थोर-चित्त ॥ ४
अङ्गङ्गय सुहड सहन्ति वे वि णं चन्द-सूर थिय अवयरेवि ॥ ५ 5 णल-णील-णरिन्द, णिविट्ठ केम एक्कासणे जम-वइसवण जेम ॥ ६ गय-गवय-गवक्ख वि रण-समत्थ णं वर-पञ्चाणण गिरिवरत्थ ॥ ७ अवर वि एकेक पचण्ड वीर थिय पासेहि पवर-सरीर धीर ॥८ एत्थन्तरें जय-सिरि-कुलहरेण हणुवन्तु पसंसिउ हलहरेण ॥९
॥ घत्ता । 'अज्जु मणोरेह अजु दिहि महु साहणु अजु पचण्डउ । चिन्ता-सायरें पडियऍण जं मारुइ लडु तरण्डउ ॥ १०
- [१४] पवण-पुत्ते मिलिए मिलियउ तइलोक्कु वि।
रिउहें सेण्णे एयहाँ धुर धरइ ण एक्कु वि' ॥१ "तं णिसुणेवि जयकार करन्तें जाणइ-कन्तु वुत्तु हणुवन्तें ॥२ ... 'देव देव वहु-रयण वसुन्धरि अत्थि एत्थु केसरिहि मि केसरि ॥३ जहिँ जम्वव-णल-णीलङ्गङ्गय णं मुक्कङ्कस मत्त महागय ॥४ जहिँ सुग्गीवकुमार-विराहिय अंतुल-मल्ल जय-लच्छि-पसाहिय ॥ ५ गवय-गवक्ख समुण्णय-माणा अण्ण वि सुहडेक्केक-पहाणा ॥६ तहिँ हउँ कवणु गर्हणु किर केहउ सीहहुँ मझें कुरङ्गमु जेहउ ॥ ७ तो वि तुहारउ अवसरु सारमि दे" आएसु देव को मारमि ॥ ८ माणु मरटु कासु रणे भजउ जगें जस-पडहु तुहारउ वजउ' ॥९
॥ पत्ता ॥
तं णिसुणेवि परितुद्वऍण जम्ववेण" दिण्णु सन्देसउ ।
'पूरे मणोरह राहवहाँ वइदेहिहें जाहि गवेसउ' ॥ १० 13. 1 P corrects मणोहर, S मणोहर.
14. 1 P मिलिअए, s मिलियइ. 2 P S रिउहु. 3 P S एकु. 4 P केसरिहु मि. 5 PS मुकंकुसु.6 P S अवरेकेक्क, P marginally अतुलमल्ल. 7 A omits this pāda. 8 PS गण्णु. 9 PS सीहहो. 10 PS कुरंगु व. 11 A देहि. 12 PS भंजमि, A भजउं; P. marginally notes घायमि apparently as a variant. 13 PS वायमि. 14 Ps जंववि पेसिड.
[१४] १ जंबवेन प्रोक्तम्.
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