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के०१५, १-१४,१,१-३]
सुन्दरकण्डं-छायालीसमो संधि [९९
[१५] तं णिसुणेवि जयकारिउ सीरप्पहरणु ।
'देव देव जाएवउ केत्तिउ कारणु ॥१ अण्णु वि वड्डारउ स-विसेसउ राहव किं पि देहि आएसउ ॥२ जेण दसाणणु जम-उरि पावमि सीय तुहारऍ करयल लावमि' ॥ ३ । णिसुणेवि गलगजिउ हणुवन्तहों हरिसु पवडिउ जाणइ-कन्तहों ॥४। 'भो भो साहु साहु पवणञ्जइ. अण्णहों कासु वियम्भिउ छज्जइ॥५ तो वि करेवउ मुणिवर-भासिउ तहाँ खय-कालु कुमारों पासिउ ॥६ ण वि पइँ ण वि मइँ ण वि सुग्गीवें जुज्झेवउ समाणु दहगीवें ॥ ७ णवरि एक्कु सन्देसउ णेजहि जइ जीवइ तो एम कहेजहि ॥ ८ ॥ बुच्चइ "सुन्दरि तुज्झ विओएं झीणु करी व कैरिणि-विच्छोएं ॥९ झीणु सु-धम्मु व कलि-परिणामें झीणु सु-पुरिसु व पिसुणालावें ॥ १० झीणु मयत व वर-पक्ख-क्खऍ झीणु मुणिन्दु व सिद्धिहें कडएँ ॥ ११ झीणु दु-राउलेण वर-देसु व अवुह-मज्झें कइ-कव्व-विसेसु व ॥१२ झीणु सु-पन्थु व जैण-परिचत्तउ रामचन्दु तिह पइँ सुमरन्तउ" ॥ १३ ॥
॥ घत्ता ॥ अण्ण वि लइ अङ्गुत्थलउ अहिणाणु समप्पहि मेरउ । आणेजहि स ई भू सैणउ चूडामणि सी'यहें केरउ ॥ १४
[४६. छायालीसमो संधि ] "जं अङ्गुत्थलउ उवलडु राम-सन्देसउ। गउ कण्टइय-भुउ सीयहें हणुवन्तु गवेसउ ॥
[१] मणि-मऊह-सच्छायएँ णिच्चं 'देव-णिम्मिए ।
चन्दकन्ति-खचिए रयणी-चन्दे व णिम्मिएं ॥१ चन्दसाल-साला-विसालए टणटणन्त-घण्टा-वमालऍ ॥२ रणरणन्त-किङ्किणि-सुघोसए घवघवन्त-घग्घर-णिघोसए॥३
15. 1 PS पेसमि. 2 45 लायमि. 3 A तं निसुणेवि गजिउ. 4 P णिजहि, s णिजहो, A नेजहिं. 5 PS कहिजहि, A कहेजहिं. 6 A करिणिहे. 7 Ps मियंकु. 8 s को, A omits. 9 PS रीणु. 10 P जणु. 11 PS आणिजहि. 12 P A भूसणडं, 13 P सीयहो, A सीयह. ___ 1. 1 Ps सच्छाए:25 °णिम्मिउ. 3 P खइआय, s खइयाय.
[१] १, विमाने. अप्रच्छादितोपरितन-भूमि.
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