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________________ १९६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १०, १-१०, ११,9421 [१०] . कहिउ सव्वु जं चन्दणहिहें गुण-कित्तणु । अणिल-पुत्तु लज्जाविउ थिउ हेट्ठाणणु ॥ १ जं पिसुणिउ कोडि-सिलुद्धरणु अण्णु वि विडसुग्गीवहों मरणु ॥२ 5 तं पवण-पुत्तु रोमञ्चियउ णडु जिह रस-भाव-पणच्चियउ ॥ ३ कुलु णामु पैसंसिउ लक्खणहाँ सुर-सुन्दरि-णयण-कडक्खणहों ॥४ 'सबउ णारायणु अट्ठमउ दहवयणहाँ चन्दु व अट्ठमउ ॥ ५ मायासुग्गीउ जेण वहिउ हलहरु अट्ठमंउ सो वि कहिउ' ॥६ मणु जाणेवि हणुवन्तहों तणंउ दूअहों हियवऍ वद्धावणंउ ॥७ " सिरु णवेवि णिरारिउ पिउ चवइ 'सुग्गीउ देव पइँ सम्भरइ ॥ ८ अच्छइ गुण-सलिल-तिसाइयउ तें हउँ हक्कारउ आइयउ ॥९ ॥घत्ता ॥ पइँ विरहिउ छुल्लुच्छुलैंड पुण्णालिहें चित्तु व ऊँण । ण वि सोहइ सुग्गीव-वल जिह जोषणु धम्म-विहूंणउ' ॥ १० [११] एह वोल्ल णिसुणेवि समीरण-णन्दणु । स-गउ स-धउ स-तुरङ्गमु स-भड स-सन्दणु ॥१ स-विमाणु स-साहणु पवण-सुउ संचल्लिउ पुलय-विसट्ट-भुउ ॥२ संचल्ले' हणुएँ संचल्लु वलु णं पाउसें मेह-जालु स-जलु ॥ ३ 20 णं रिसह-जिणिन्द-समोसरणु णं णाण-समऍ देवागमणु ॥४ णं तारा-मण्डलु उग्गमिउ णं णहें मायामउ णिम्मविङ ॥ ५ आणन्द-घोसु हणुवहों तणउ णिसुणेवि तूरु कोड्डावणउ ॥ ६ पमैयद्धय-साहणें जाय दिहि घण गजिएँ णं परितुट्ठ सिहि ॥ ७ परवइ सुग्गीउ करेवि धुरें । किय हट्ट-सोह किक्किन्ध-पुरे ॥८ 25 कञ्चण-तोरणइँ णिवद्धाइँ घरे घरे मिहणइँ समलद्धाइँ॥९ घरें घर परिहियइँ रवण्णाइँ लोडइ पडिपाणिय-चण्णाइँ ॥ १० लहु गहिय-पसाहण सयल पर णिग्गय सवडम्मुह अग्घ-कर ॥ ११ ___10. 1A. omits the beginning up to चंदण. 2 PA पिसुणिलं. 3 PS इ. 4 A पसंसिउं. 5 P A अट्ठमउं. 6 PS इंदु. 7A अट्ठमउं. 8 A तणउं. 9 8A बद्धावणउं, 10 P छुलुछुलुङ. 11 P S A ऊणउं. 12 s 'विहूणडं. ___11, 1 Ps संचल्ले हणु चल्लु. 2 PS आणंदु. 3 A तण. 4 P कोडावणडं, A कोड्डावणउं 5A मयरद्धय. 6 P S लाडइ. 7 A विण्णाई. [१०] १ हनूवंतः. २ चन्द्र इव. ३ शीघ्र, उत्तालकम्. ४ उत्सुक, निःसाधारम्. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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