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________________ १९४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०७,१,10141-९ [७] खरहों धीय मुच्छङ्गय पुणु वि पडीविया । चन्दणेण पंवालिय पञ्चुज्जीविया ॥१ उद्विय रोवन्ति अणङ्गकुसुम णं चन्दण-लय उभिण्ण-कुसुम ॥२ । 'हा ताय केण चिणिवाइओ सि विजाहरु होन्तउ घाइओ सि ॥ ३ सूराण सूर जस-णिक्कलङ्क विजाहर-कुल-णहयल-मैयङ्क ॥ ४ हा भाइ सहोयर देहि वाय विलवन्ति कासु पइँ मुक्क माय' ॥५ तं णिसुणेवि कुसलेंहिँ पण्डिएहिँ सदस्थ-सत्थ-परिचड्डिएहि ॥ ६ 'किं ण सुउ जिणागमु जगें पगासु जायहाँ जीवहाँ सवहाँ विणासु ॥ ७ " जल-विन्दु जेम घचलें पडन्तु जं दीसइ तं साहसु महन्तु ॥ ८ साहारु ण वन्धइ एई जाइ अरहट्ट-जन्तें गव घडियं णाइँ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ रोवहि काइँ अारणेण धीरवहि माएँ अप्पाणउ । अम्हहँ तुम्हहुँ अवरहु मि कदिवसु वि अवस-पयाणउ' ॥ १० [८] खरहों धीय परिधीरेविया परिवारेंणं । मय-जलं च देवाविय लोयाचारेणं ॥ १ इहेरिसम्मि वेलए परिट्टिए वमालए ॥२ समुडिओऽरिमद्दणो समीरणस्स गन्दणो ॥३ " पलम्ब-वाहु-पञ्जरो णिरङ्कसो व कुञ्जरो ॥ ४: महीहरस्स उप्परी विरुद्धउ ब केसरी ।५ फुरन्त-रत्त-लोयणो सणि वसावलोयणो ॥६ - दुवारसो व भैक्खरो जमो व दिहि-णिदुरो ॥ ७ विहि व किश्चिदुट्टिओ ससि व अट्टमो ठिओ ॥८ 25 विहप्फइ व जम्मणे अहि व कूर-कम्मणें ॥९ 7. 1 PS पव्वालिय पुणु वि. 2 P S "मियंक. 3 P ण्ण, SA न. 4 A एम. 5 5 उ, A नव. 6 PS घडिउ. 7 P अइकारोण. 8 P A अप्पाणउं. 9 A कंदिवसु. 10 P S A पयाणउं. 8. 1Ps परिधीरविय, A परिवोहिय. 2 P मियजलअंजली देवाविय, 5 मियेण जलं अंजलि देवाविय. 3 SA दुव्वारसो. 4 A जम्मणो. 5 A °कम्मणो. [७] १ लिप्ता. [८]१ मृतस्य यथा. २ शनीश्वरमिव. ३ सूर्यः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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