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क०६०, १-१२; ११, १-८]
सुन्दरकण्डं-चउयालीसमो संधि [ १८७
तहिँ तेहएँ वि काले भय-भीयहें केण वि सीलु ण खण्डिउ सीयहें ॥१ पर-पुरिसेंहिँ णउ चित्तु लइज्जइ वॉलेहि जिह वायरणु ण भिजई' ॥२ तं णिसुर्णेवि विज्जाहर-वुत्तर कण्ठउ दिण्णु कडंउ कडिसुत्तउ ॥ ३ तहिँ अवसर जे गया गवेसा आय पडीवा ते वि असेसा ॥४ पुच्छिय राहवेण 'वर-वीरहों जम्बव अङ्गङ्गय सोण्डीरहों ॥५
अहो णल-णीलहों गवय-गवक्खों सा 'किं दूरे लङ्क महु अक्खहाँ' ॥६ • जम्वउ कहाँ लग्गु हलहेइहें 'रक्खस-दीवहाँ सायर-वेइहें ॥ ७ जोयण-सयइँ सत्त "विहिँ अन्तरु तहि मि समुदु रउद्दु भयङ्कर ॥८ लङ्का-दीउ वि तेण पमाणे कहिउ जिणिन्दें केवल-णाणें ॥९ तहिँ तिकूडु णामेण महीहरु जोयणाइँ पञ्चास स-वित्थरु ॥ १० णव तुङ्गत्तणेण तहाँ उप्परि थिय जोयण वत्तीस लङ्काउरि ॥ ११
॥ धत्ता ॥ एक वि णरिन्दु णीसङ्कउ अण्णु समुदें परियरिउ । एकु वि केसरि दुप्पेक्खउ अण्णु पडीवउ पक्खरिउ ॥ १२.
[११] जसु तइलोक-चक्कु आसङ्कइ तेण समाणु भिडेंवि को सक्कइ ॥१ 'राहव एण काइँ आलावें काइँ व सीयहें तणेण पलावें ॥२ पिण्डत्थणिउँ लडह-लायण्णउ लइ महु तणियंउ तेरह कण्णउ ॥ ३ गुणवइ हिययवर्म हिययावलि सुरवइ पउमाइ रयणावलि ॥४ चन्दकन्त सिरिकन्ताणुरि चारुलच्छि मणवाहिणि सुन्दरि ॥ ५ सहुँ जिणवइऍ रूवै-संपण्णउ परिणि भडारा एयउ कण्णउ' ॥६ तं णिसुणेवि वलएवें वुच्चई" 'आयहुँ मझें ण एक वि रुच्चइ ॥ ७ जइ वि रम्भ अह होइ तिलोत्तिम "सीयहें पासिउ अण्ण ण उत्तिम ॥८
10. 1 s °भीयहिं. 2 s सीयहिं. 3 P वालेहि, s वालिहिं, A वालिहि. 4 A कडउं 5 PS अंगयवर. 6 PS सो. 7 P के, A के. 8 PS दूर. 9 PS कहइ. 10 5 हलहेइहिं. 11 A °च्छेयहे. 12 PS विहि. 13 s जोयणई तीस.
11. 1 P S तइलोक्कु. 2 P S आसंघइ. 3 P S °थणिय, A tथणिउं. 4 S A °लायण्णउं. 5A तणियउं. 6 A कण्णउं. 7•p s हिअवइ वम्महिमावलि.8 PS पउमावलि.9 P S चंदकंति. 10 A ताणुंधरि. 11 P A रूउ संपण्णउं. 12 P कण्णउं. 13 After this Ps read the following two esxtra padas: तासु सुहड्ड (s. हु) जासु जं रुचइ, जं वल ए(s. ये). उ काइ पइ वुच्चइ. 14 F एयह, 8 येयह. 15 PS एकु. 16 PS सीयहो. [१०] १ रामस्य हलायुधस्य.
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