________________
क०५, १५, ६.१-९,७,१-४] सुन्दरकण्ड-चउयालीसमो संधि [१८५ ।
• ॥वत्ता॥ . पणवेप्पिणु जिणवर-सामिउ सुह-गइ-गामिउ पइजारूढ णराहिवइ । 'जइ सीयहें वत्त ण-याणमि तुम्ह पराणमि तोवल महु सण्णास-गई ॥१५
• . [६] एवं भणेवि अणिट्ठिय-वाहणु कोकाविउ विजाहर-साहणु ॥ १ ।। 'जाहुं गवेसा जहिँ आसङ्घहों जल-दुग्गइँ थल-दुग्गइँ लड्वहाँ ॥२ पइसेवि दीवें दीउ गवेसहाँ • गय अङ्गङ्गय उत्तर-देसीं ॥३ गवय-गवक्ख वे वि पुबद्धं णल-कुन्देन्द-णील पच्छंढें ॥४ दाहिणेण सुग्गीउ स-साहणु अण्णु वि जम्बवन्तु हरिसिय-मणु ॥.५ चलिय विमाणारूढ महाइय णिविसें कम्वू-दीउ पराइय ॥ ६ ताव तेत्थु 'विजाहर-केरउ कम्पइ चलइ वलइ विवरेरउ ॥७ दीहर-दण्डु पवण-पंडिपेल्लिर णं जस-पुञ्ज महण्णवे मेल्लिउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ सो राएं धधुबन्तउ दीसइ णयण-सुहावणउ । 'लहु एहु एहुँ' हकारइ णाइँ हत्थु सीयहें तणंउ ॥ ९ ॥
[७] तेण वि दिदु चिन्धु सुग्गीवहाँ उपरि एन्तउ कम्बू-दीवहाँ ॥१ चिन्तइ स्यणकेसि 'लइ वुज्झिउ जेण समाणु आसि हउँ जुज्झिउ ॥२ सो तइलोक-चक्क-संतावणु मञ्छुडु आउ पडीवउ रावणु ॥ ३ . कहिँ णासमि कहाँ सरणु पढुक्कमि एयहाँ हउँ जीवन्तु ण चुक्कमि' ॥ ४ ॥ दुक्खु दुक्खु साहारिंउ णिय-मणु 'जइ सयमेव पराइउ रावणु ॥ ५ .. तो किं तासु महद्धऍ वाणरु णं णं दीसइ किकिन्धेसीं ॥६ तहिँ अवसरें सुग्गीउ पराइउ णाइँ पुरन्दरु सग्गहाँ आइउ ॥ ७ . 'भो भो रयणकेसि किं भुल्लउ अच्छहि काइँ एत्थु एकल्लउ' ॥८
6A आणमि.7 PS पणारमि.
6. 1 P एवं भणिवि. 2 P जाहुं. 3 P आसंघहुँ, s आसंघहु. 4 P लंघहुँ, s लंघहु. 5 P 8 पइसिवि, A पेसिय. 6 P°एसहुँ, s °एसहो. 7 PS णलु कुंदेंदु णीलु. 8 P पञ्चद्धे. 9 P कम्वुद्दीवु, s कम्वुदीउ. 10 P परिपेल्लिउ. 11 A धूवंतउं. 12 s A °सुहावणउं. 13 PS सीयहिं. 14 A तणउं.
7. 1 PS मइ. 2 PS एकल्लउ, A एकलउ.
[६] १ रावणेन हतस्य विद्याधरस्य. २ सुग्रीवः(१). ३ रत्नकेशिना दृष्टः. ४ ध्वजा. [७] १ रनकेशिना.
स. प. च..२४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org