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________________ १८४ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०,१-१०१५,1-12 [४] तं णिसुणेवि वयणु पडिहारहों हियवउ भिण्णु कइद्धय-सारहों ॥१ 'ऍह सो लक्खणु राम-कणिदुर जासु आसि हउँ सरणु पइट्टा ॥२ सीसु व गुरु-वयणेहिँ उम्मूढउ फरवइ विणय-गइन्दारूढउ ।। ३ । स-वलु स-पिण्डवासु स-कलत्तउ चलणेहि पडिउ विसन्थुल-गत्तउ ॥४ पभणिउ कलुणु कियञ्जलि-हत्थउ 'हउँ पाविट्ठ धिटु अकियत्थउ ॥ ५ तारा-णयण-सरहिँ जजरियउ तुम्हारउ गाउँ मि वीसरियउ ॥ ६ अहाँ परमेसर पर-उवयारा एक-वार महु खमहि भडारा' ॥ ७ जं पिय-वयणहिँ विणउ पयासिउ गरवह लक्खणेण आसासिउ ॥८. 10 "अभउ वच्छ छुडु सीय गवेसहि लहु विज्जाहर दस-दिसि पेसहि' ॥९ .. ॥ धत्ता ।। सोमित्तिहे वयणु सुणेप्पिणु सुहड-सहासेंहिँ परियरिउ । णं सायरु समयहाँ चुक्कउ किक्किन्धाहिउ णीसरिउ ॥१० [५] । णराहियो विसालयं पराइओ जिणालयं ॥१ थुओ तिलोय-सामिओ अणन्त-सोक्ख-गामिओ ॥२ "जयट्ट-कम्म-दारणा अणङ्ग-सङ्ग-वारणा ॥३ पसिद्ध-सिद्ध-सासणा तमोह-मोह-णासणा ॥ ४ कसाय-माय-वजिया तिलोय-लोय-पुज्जिया ॥५ . 20 मयट्ट-दुट्ट-मद्दणा तिसल्ल-वेल्लि-छिन्दणा' ॥६ थुओ एम णाहो विहूई-सणाहो ॥७ महादेव-देवो ण तुङ्गो ण छेओ ॥८ ण छेओ ण मूलं ण चावं ण सूलं ॥ ९ म कङ्काल-माला ण दिट्ठी कराला ॥ १० 25 ण गउरी ण गङ्गा ण चन्दो ण णांगा ॥ ११ ण पुत्तो ण कन्ता ' ण डाहो ण चिन्ता ॥ १२ ण कामो ण कोहो ण लोहो ण मोहो॥ १३ ण माणं ण माया ण सामण्ण-छाया ॥ १४ 4. 1 s रायहो. 2 A देव. 3 P णाउं वि, s णाउ वि. 4 A दिसु. 5. 1 rs जो अg. 2 PS °दारणो and similarly everywhere final °ओ up to line 6. 3 P थुइ corrected as थुउइ, A थुअ. 4 P गंगा,.s णगा. 5A सावन्न. • [४] १ सचेतो जातः. २ सुग्रीवः. ३ मर्यादायाः. . [५] १ सुग्रीवः. २ सर्पाः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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