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०१७, ३-९७ १८,१-९, १९,१] सुन्दरकण्डं-तियालीसमो संधि [१८१ सुकलत्तु जेम दिढ-गुण-धर्णउ सुकलत्तु जेस कोड्डाणउ ॥ ३ सुकलत्तु जेम शिव्यूढ-भरु सुकलत्तु जेम पर-णिप्पसरु ॥४ सुकलत्तु जेम सइवरे गहिउ घरें जणयहाँ जणय-सुअऍ सहिउ ॥५ तं वजावत्तु हत्थे चडिउ. अप्फालिउ दिसहि णाइँ रडि ॥६ णं काले पलय-काले हसिउ णं जुय-खऍ सायरेण रसिउ ॥७ णं पडिय चडक खडक-यले भड कम्पिय विडसुग्गीव-वलें ॥८
• ॥ घत्ता ॥ तं भीसणु चाव-सहु सुणेवि केलि व वाएं थरहरिय । पर-पुरिसु रमेप्पिणु असइ जिह विज सरीरहों णीसरिय ॥९
[१८] मायासुग्गीउ विसालियएँ मेल्लिउ विजऍ वेयालियएँ ॥१ णं णिद्धणु मुंकु विलासिणिऍणं वर-मयलञ्छणु रोहिणिऍ ॥२ णं सुरवइ परिसेसिउ सईऍ णं राहउ सीय-महासइऍ ॥ ३ णं मयण-राउ मेल्लिउ रइऍ __णं पाव-पिण्डु सासय-गइए॥४ णं 'विसमणयणु 'हिमपवइएँ - धरणेन्दु णाइँ पउमावइऍ ॥५ ॥ णिय-विजऍ जं अवमाणियउ सहसगइ पयडु जणे जाणियउ ॥ ६ जं विहडिउ सुग्गीवहों तणंउ वलु मिलिउ पडीवउ अप्पर्णउ ॥७ एकलउ पेक्खेंवि वइरि थिउ वलएवं सर-सन्धाणु किउ ॥ ८.
॥ घत्ता
॥
खणे खणे अणवरय-गुणड्डिऍहि तिक्खेंहिँ राम-सिलीमुहेंहिँ। 20 विणिभिण्णु कवडसुग्गीउ रणे पंच्चाहारु जेम वुहॅहिँ ॥ ९
[१९] रिउ णिवडिउ सरहिं वियारियउ सुग्गीउ वि पुरे पइसारियउ ॥१.
5sa °घणउं. 6 s A कोड्डावणउं, P कोडावणउ. 7 A. omits these pādas. 8 P सहिडं. 9PS A हत्थि. 10 P S णाइ, A नाइ. 11 A रडिडं. 12 P S कालु. .
18. 1 P विभालियए, 5 वियालियाए. 2 A सुकु. . 8 P S सईए and similarly penultimate ई in the following lines. 4 A अवयाणियउं. 5A जाणियउं. 6s वणउं. 7 A अप्पणलं. 8 P वुहिहे, s वुहोएणा.
[१७] १ परे प्रसर-रहिता यस्य (2). २ विद्युत् पर्वते. [१८] १ ईश्वरः. २ गौर्या. ३ प्रत्याहारं यथा बुधैर्भेद्यते.
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