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१८०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १५, १-९,१६, १९11011
_ [१५] . एत्थन्तर सिमिरइँ परिहरेवि खत्तिय खत्ते अभिट्ट वे वि ॥१ सुग्गीवें विडसुग्गीउ वुत्तु "जिह माया कवडे.रज्जु भुत्तु ॥२
खल खुद्द पिसुण तिह थाहि थाहि कहिँ गम्मइ रहवर वाहि वाहि' ।। ३ 5 तं णिसुणेवि विष्कुरियाणणेण दोच्छिउ जलणुका-पहरणेण ॥४ 'किं उत्तिम-पुरिसहुँ एहु मग्गु मणु असइहें जिह सय-वार भग्गु ॥५ जुज्झन्तु ण लज्जहि तो वि घिट्ट रणे पाडिउ पाडिउ लेहि चेट्ट' ।। ६ असहन्त परोप्पर वावरन्ति णं पलय-महाघण उत्थरन्ति ॥ ७ पुणु वाणेहिं पुणु तरु-गिरिवरेहिँ करवालेंहिँ सूलेंहिँ मोग्गरेहिँ ॥ ८.
॥धत्ता ॥ मायासुग्गीवें कुद्धऍण लँउडि भमाडेंवि मुक्त किह। सुग्गीवहों गम्पिणु सिर-कमले महिहरें पडिय' चडक जिह ॥ ९
[१६] पाडिउ सुग्गीउ गयासणिऍ कुलपवउ णं वज्जासणिएँ ॥१ 15 विणिवाइउ किर णिज्जीउ थिउ रिउ-साहणे तुर-वमाल किउ ॥ २
एत्तहे वि 'सु-तारहें पाण-पिउ उच्चाऍवि रामों पासु णिउ ॥ ३ वइदेहि-दइउ विण्णत्तु लहु 'पइँ होन्तें एहावत्थ महु' ॥४ राहवेण वुत्तु 'हउँ किं करमि को मारमि को किर परिहरमि ॥५ वेणि मि समरङ्गणे अतुल-वल वेणि मि दुजय विजहि पवल ॥६ 20 वेणि मि विण्णाण-करण-कुसल विणि वि थिर-थोर-चाहु-जुअल ॥७ वेणि वि वियडुण्णय-वच्छयल वेणि वि पप्फुल्लिय-मुह-कमल ॥ ८
॥ धत्ता ॥ सयलु वि सोहइ सुग्गीव तउ जं वोल्लहि अवमाणियउ । महु दिट्टिएँ कुल-बहुआएँ जिह खलुं पर-पुरिसु ण जाणियंज' ॥९
[१७] मणु धीरेंवि सुग्गीवहाँ तणेउ अवलोइउ धणुहरु अप्पणउ ॥१ संकलत्तु जेम-सुपणामि[य]उ सुकलत्तु जेम आयामियंउ ॥२ 15. 1 Ps सयवारु. 2 Ps लेवि. 3 P S असहति. 4 A गय.. 5 PS लवडि. 6 A चक्क. 16. 1 A सुतारा-पाणप्रिउ. 2 PS विजेहिं. 3 P अघमाणिअङ, A भवमाणियउं. 4 PE खक. 5A जाणियउं. 17.1 A तणउं. 2 PS A अप्पणडं. 3 P. S. omit this pāda. 4 A मायामिडं [१५] १ विद्युत्.
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