SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4421-11-2] सुन्दरकण्डं-तियालीसमो संधि (१७९ [१३] तं वयणु सुर्णेवि चर्वणुब्भडेण आरटे दुढे विड-भडेण ॥ १ आएसु दिण्णु णिय-साहणहों 'वित्थारहों मारहों आहणों ॥२ पावहाँ मुण्डांवाँ सिर-कमल सहु णासें छिन्दहाँ भुअ-जुअलु ॥ ३ । दूअर्हो दूअत्तणु दक्खवहों पाहुणंउ कयन्तहाँ पट्टवहीं ॥४ पह मन्तिहिँ दुक्खु णिवारियउ सुग्गीव-दउ गउ खारियउ ॥५ एत्तहे विणरिन्दु ण संठियउ • णिय-सन्दणं-वीढ़ें परिट्रियउ॥६ 'सण्णहेवि स-साहणु णीसरिउ पञ्चक्खु णाइँ जमु अवयरिउ ॥ ७ पडिक्क्ख-पक्ख-संक्खोहणिहिँ णिग्गउ संत्तेहिँ अक्खोहणिहिँ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ . सुग्गीवहीं रामहों लक्खणहों विड-सुग्गीउ गम्पि भिडिउ । हेमन्तहों गिम्भों पाउसहों णं दुक्कालु समावडिउ ॥ ९ [१४] अभिट्टई वेण्णि मि साहणाइँ जिह मिहुणइँ तिह हरिसिय-मणार॥१ जिह मिहुणइँ तिह अणुरत्ताइँ जिह मिहुणइँ तिह पर-तत्ताइँ ॥२ । जिह मिहुणइँ तिह कलयल-कर. जिह मिहुणइँ तिह मेल्लिय-सरई॥३ जिह मिहुणइँ तिह डसियाहर जिह मिहुणई तिह सर-जजरई ॥४ जिह मिहुणइँ तिह जुज्झाउरई ॥५ जिह मिहुणइँ तिह अञ्चष्भडइँ जिह मिहुणइँ तिह विहडप्फडइँ ॥६ जिह मिहुणइँ तिह णिरु वेवियइँ जिह मिहुणइँ तिह पासेइयई ॥ ७ ॥ जिह मिहुणइँ तिह णिच्चेट्ठियइँ णिप्फन्दइँ जुज्झन्तइँ थियइँ ॥ ८ ॥घत्ता ॥ तेहएँ अवसरे विण्णि वि वलइँ ओसारियइँ महल्लऍहिँ । 'पर तुम्हेंहिँ खत्त-धम्म सरेवि जुज्झेबउ एकल्लऍहिँ' ॥९ 13. 1 Ps बिच्छारहों. 2 P S पाहुणहु, A पाहुणउं. 3 After line 4 P. S. read this extra pāda: जिम णावह कालहो सिक्खवहो. 4 P°संदणे पीठे, s संदणि पीठि. 5A सच वि. 14. 1 PS आभिट्टइं. 2 PS पहरंताई. 3 P S अणुरत्ताई, पररत्ताई noted marginally as a variant. 4 P. s. read the penultimate syllable of each of the remaining pādas as long. 5 P 5 महंतएहिं. 6 A करेवि. • [१४] १ कम्पितानि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy