SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०६,६-११७, १-९,८,१-६ थिउ तारह रक्खणु अभउ देवि “जइ दुकहाँ तो महु मरहों ते वि ॥६ जुज्झन्तु जिणेसइ जो जि अजु तहाँ सयलु स-तारउ देमि रज्जु" ॥७ विहिँ एक्कु वि णउ पइसारु लहइ णल-णीलहुँ पुणु सुग्गीउ कहइ ॥ ८ "सच्चउ' आहाणउ एहु आउ परयारिउ जि घर-सामि जाउ” ॥ ९ । असहन्त परोप्पर ढुक्क वे वि णिय-णिय-करवालइँ करेंहिँ लेवि ॥ १० ॥ घत्ता ॥ किर जाम भिडन्ति भिडन्ति ण वि .ताव णिवारिय वारऍहिँ। मुक्कडुस मत्त गइन्दै जिह ओसारिय कण्णारऍहिँ ॥ ११ [७] 10 ओसारिय जं पुरवर-जणेण थिय णयरहों उत्तर-दाहिणेण ॥ १ अण्णेक-दियहें जुज्झन्ति जाम पवणञ्जय-णन्दणु कुविउ ताम ॥२ "मरु मरु सुग्गीवहाँ मलिउ माणु" सण्णडु सुहड-साहण-समाणु ॥ ३ "हणु हणु" भणन्तु हणुवन्तु पत्तु पभणइ णिरु रहसुच्छलिय-गत्तु ॥ ४ "सुग्गीव माम मा मणेण मुज्झु विड-भडहाँ पडीवउ देहि जुज्झु ॥५ 15 जइ ण. वि भञ्जमि भुञ्ज-दण्ड तासु तो ण होमि पुत्तु पवणञ्जयासु" ॥ ६ तं वयणु सुर्णेवि किक्किन्धराउ तहों उप्परि गलगज्जन्तु आउ ॥७ ते भिडिय वे वि कण्टइय-देहे णव-पाउसें णं जल-भरिय-मेह ॥८ ॥ घत्ता ॥ . असि-चाव-चक्क गय-मोग्गरेंहिँ जिह सक्किउ तिह जुज्झियउ । हणुवन्तें अण्णाणेण जिह अप्पर पर वि ण बुझियउ ॥ ९ जं विहि मि मज्झें एक्कु वि ण णाउ गउ वलेंवि पडीवउ पवणजाउ ॥ १ सुरंगीउ वि पाण लएवि णटु णं मयगलु केसरि-घाय-ततु ॥२ किर पइसइ खर-दूसणहँ सरणु किउ णवर कियन्तें तहु मि मरणु ॥ ३ 25 तहिँ णिसुणिय तुम्हहँ तणिय वत्त जिह चउँदह सहसेकहाँ समत्त ॥ ४ तो वरि सुग्गीवहाँ करें 'परित्त सरणाइउ रक्खहि परम-मित्त' ॥५ . जं हरि अब्भस्थिउ जम्ववेण सुग्गीउ वुत्तु पुणु राहवेण ॥ ६ 7 Ps कारणे; P marginally notes 'रक्खणु' पाठे. 8 A देवि. 9 P S सो लोयाहाणउ, A आहाणउं. 10 PS पस्यारउ. 11 P घरे, घरि. 12 P A मुक्कंकुसु. 13 P S गइंदु. 7. 1PS "देहु. 2 PS णं णव. 3 P सजल मेह, 5 सजलमेहु. 8. 1A सग्गीवउ. 2 P णिसुणेचि, s णिसुणिवि. 3 PS चउदहः । [८] १ दया रक्षा वा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy