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१६२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० ११,८-११,१२, १-१,१३, 1-८ रावणु मुऍवि अण्णु को वलियउ सुरवर-णियरु जेण पडिखलियउ॥८ रावणु मुऍवि अण्णु को भल्लउ जो तिहुयणहों मल्लु एक्कल्लउ ॥९ रावणु मुऍवि अण्णु को सूहउ जं आपेक्खेंवि मयणु वि दूहउ ॥ १०
॥ घत्ता॥ तहों लेङ्केसरहों
कुवलय-दल-दीहर-णयणहों। भुञ्जहि सयल महि महएवि होहि दहवयणी' ॥ ११
[१२] तं तहे कडुअ-वयणु आयण्णवि रावणु जीविउ तिण-समु मण्णेवि ॥१ सील-वलेण वलिय णउ कम्पिय रूसेवि णिहरे वयण पजम्पिय ॥२ 10 'हले हले काइँ काइँ पइँ वुत्तउँ उत्तिम-णारिहें एउ ण जुत्तउ ॥ ३ किह दइयों दूअत्तणु किज्जइ एण णाई मह हासउँ दिज्जइ ॥४ मञ्छुडु तुहुँ पर-पुरिस-पइद्धी तें कजें महु देहि दुवुद्धि ॥५ मत्थए पडउ वज्जु तहाँ जारह। हउँ पुणु भत्तिवन्त भत्तारी॥६ सीयहें क्यणु सुणेवि मणें डोल्लिय णिसियर-णाह-णारि पडिवोल्लिय ॥ ७ 15 'जइ महएवि-पट्टण पंडिच्छहि जइ लङ्काहिउ कह विण ईच्छहि ॥८
॥ घत्ता ॥ तो कन्दन्ति पइँ तिल तिलु करवत्तेहिँ कप्पइ । अण्णु मुहुत्तऍण णिसियरहँ विहङ्गेवि अप्पई' ॥९ .
[१३] 20 पुणुपुणुरुत्तेहि जणयहाँ धीयएँ णिन्भच्छिय मन्दोवरि सीयऍ॥ १ 'केत्तिउ वारवार वोल्लिज्जई जं चिन्तिउ मणेण तं किजइ ॥२ जइ वि अज्ञ करवत्तेहि कप्पहाँ जइ वि धरवि सिव-साणहाँ अप्पहों॥३ जइ वि वलन्तें हुआसणे मेल्लहाँ जइ वि महग्गय-दन्तेहिं पेल्लों ॥४
तो वि खलहाँ तहों दुक्किय-कम्मों पर-पुरिसहाँ णिवित्ति इह जम्माँ ॥ ५ 25 एक्कु जि णिय-भत्तारु पहुच्चइ जो जय-लच्छिऍ खणु वि ण मुच्चइ ॥६
जो असुरा-सुर-जण-मण-वल्लहु तुम्हारिसहुँ कुणारिहिँ दुल्लहु ॥७ जो णरवर-मइन्दु भीसावणु 'धणु-लङ्गल-लील-दरिसावणु ॥ ८ . 3 P S सुरवरु. 4 P A सूहउं. 5 P अपेक्खेवि, S अपिक्खिवि. ___12. 1 A °रु वयणु. 2 P वुत्तउं. 3 Ps किं. 4 A हासउं. 5 P S मण. 6 P पडिच्छिउं, s पडिच्छिउ. 7 Ps व. 8 Ps इच्छिउ. ____13. 1 P s बोलिज्जइ. 2 P कप्पहुं. 3 A °साणहिं. 4 P S घल्लहो. 5A °मइन्द'. 6A 'गंगूल.
[११] १ समस्त-राज्यं निःकंटकं. ' [१३] १ राम-धनु-सिंह-पुच्छ.
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