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के० ९, ६-१,१०, १-९,११,१-७) उज्झाकण्डं-एकचालीसमो संधि [ १६१ . अरुणुग्गमें अञ्चन्त-किसोयरि सीयहें दूई गय मन्दोयरि ॥६ सहुँ अन्तेउरेण उद्धृसिय गणियारि व गणियारि-विहूसिय ॥ ७ वणु गिवाणरवणु संपाइय राहव-घरिणि तेत्थु णिज्झाइय ॥ --
॥ घत्ता॥ वे.वि मणोहरिउ रावण-रामहुँ पिय-णारिउ । दाहिण-उत्तरेण णं दिस-गइन्द-गणियारिउ ॥९
• [१०] राम-घरिणि जं दिट्ठ किसोयरि हरिसिय णिय-मणेण मन्दोयरि ॥१ 'अहिणेव-णारि-रयणु अवैइण्णउ एउण जाणहुँ कहिँ उप्पण्णउ ॥ २ सुरहुँ मि कामुक्कोयण-गारउ मुणि-मण-मोहणु णयण-पियारउ ॥ ३ ॥ साहु साहु 'णिउणोऽसि पयावइ तह विण्णाण-सत्ति को पावइ ॥४ अह किं वित्थरेण वहु-चोल्लएँ स. कामो वि पडइ कोमिल्लएँ ॥ ५ कवणु गहणु तो लङ्का-राएं एम पसंसेवि मंणे अणुराएं ॥६ पिय-वयणेहिँ दसाणण-पत्तिऍ वुच्चइ राम-घरिणि विहसन्तिऍ ॥ ७ 'किं वहु-जम्पिएण परमेसरि जीविउ एक्कु सहलु तउ सुन्दरि ८ 15
॥ घत्ता॥ सुरवर-डमर-कर तइलोक-चक्क-संतावणु। ... काइँण अत्थि तैउ जहें आणवडिच्छउ रावणु' ॥ ९
[११] इन्दइ-भाणुकण्ण-घणवाहण अक्खय-मय-मारिच्च-विहीसणं ॥ १ ॥ जं चलणेहिँ घिवहि आरूसेवि तं सीसेण लयन्ति असेस वि ॥२ अण्णु वि सयलु एउ अन्तेउरु सालङ्कारु स-दोरु स-णेउरु ॥३ अट्ठारह सहास वर-विलयहुँ णिच्च-पसाहिय-सोहिय-तिलयहुँ ॥४ आयहुँ सबहुँ तुहुँ परमेसरि णीसावण्णु रज्जु करि सुन्दरि ॥ ५ . रावणु मुऍवि अण्णु को चङ्गाउ रावणु मुऍवि कवणु तणु-अङ्गाउ ॥ ६ । रावणु मुऍवि अण्णु को सूरउ पर-वल-महणु कुलासा-पूरउ ॥ ७ 6A °उत्तरउ. _10. 1 A अहिणउं. 2 2 अवइण्णउं. 3 A उप्पण्णउं.•4 PS सुरह, A सुरहुं. 5 A कामेल्ल. 6 PS मणु. 7 PS जसु आणवडिच्छिउ.
11. 1 PS °कण्णु घणवाहणु. 2 P*s °विहीसणु. २ अवलोकिता. [१०] १ उत्पादनशीला. २ दक्षः. ३ तव.
म. प.च०२१
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