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• १६० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०७,३-९,८,१-९,९,84 जं सुहु भव-संसार भमन्तहुँ जं सुहु णारश्यहुँ णिवसन्तहुँ.॥३ जं सुहु जम-सासणु पेच्छन्तहुँ जं सुहु असि-पञ्जरें अच्छन्तहुँ ॥ ४ न सुह पलयाणल-मुह-कन्दर जं सुहु पश्चाणण-दाढन्तर ॥५
जं सुहुण-माणिक्कु खुडन्तहुँ तं सुहु एह णारि भुञ्जन्तहुँ । ६ 5 जाणन्तो वि ते वि जइ वन्छहि तो कज्जेण केण मइँ पुच्छहि ॥७ तउ पासिउ किं कोइ वि वलियउ जेण पुरन्दरो वि पडिखलियउ ॥८
॥ घत्ता ॥ जं जसु आवडइ तहाँ 'तं अणुराउ ण भजई। जइ वि असुन्दरउ जं पहु करेइ तं छज्जई' ॥९
[८] तं णिसुणेवि वयणु दहवयणे पभणिय णारि विरिल्लिय-णयणें ॥१ 'जइयहुँ गयउ आसि अचलिन्दहों वन्दण-हत्तिएँ परम-जिणिन्दहाँ ॥२ तइयहुँ दिदु एक्कु मइँ मुणिवरु गाउँ अणन्तवीरु परमेसरु ॥ ३ . तासु पासें वउ लइउ ण भञ्जमि मण्डऍ पर-कलत्तु गउ भुञ्जमि ॥४ 11 अहवह एण काइँ मन्दोअरि जइ णन्दन्ति णियहि लङ्काउरि ॥५
जइ मग्गहि धणु धण्णु सुवेण्णउ राउलु रिद्धि-विद्धि-संपण्णउ ॥६ . जइ आरहहि तुरङ्ग-गइन्देहिँ जइ वन्दिज्जइ वन्दिण-वन्देहि ॥७ जइ मग्गहि णिकण्टउ रज्जु जइ किर म. वि जियन्तॆण कन्जु ॥
॥ घत्ता ॥ सयलन्तेउरहों जइ ईच्छहि णउ रण्डत्तणु । तो वरि जाणइहें मन्दोयरि करें दूअत्तणु ॥.९
[९] तं णिसुणेवि वयणु दहवयणहों पभणिय मन्दोयरि 'पुरि मयणहों ॥ १
'हो हो सबु लोउ जग दूहर पइँ मेल्लेविणु अण्णु ण सूहउ ॥ २ 28 सुरकरि-अहिसिञ्चिय-सिय-सेविहें जो आएसु देहि महएविहें ॥ ३ ।।
एव "वि करमि तुहारउ वुत्तउ पहु-छन्देण अजुत्तु वि जुत्तउ' ॥४ ए आलाव परोप्परु जाहिँ रंयणिहें चउ पहरा हय ताहिँ ॥ ५ ' 7. 1 A पडतहुं. 2 A तहिं.
8. 1SA सुवण्णउं. 2 Ps संपन्नउ, A संपण्णउं. 3 s वंदन-वंदिहिं. 4 A जीवंतें. 5 Ps इच्छवि. 6 A परि. 7 8 जाणइहिं.
9. 1 A को. 2 5 मि...3 P करउ. 4 s रयणिहिं. 5 A गय.. T ] १ पर-स्त्री सीता. ९१ काम-नगरीव.
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