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________________ ० १-९,६,१-९,७,१-२] उज्झाकण्डं-एकचालीसमो संधि [ १५६ [५] तहिँ पल्लङ्के चडेंवि रजेसरि पभणिय लङ्कापुर-परमेसरि ॥१ 'अहो दहमुह दहवयण दसाणण अहाँ दससिर दसास सिय-माणण" २ अहो तइलोक-चक-चूडामणि वइरि-महीहर-खर-वज्जासणिमा ३ वीसपाणि णिसियर-णरकेसरि सुर-मिग-वारण दारण-अरि-करि ॥ ४ ॥ पर-णरवर-पायौर-पलोट्टण दुद्दम-दाणव-वल-दलवट्टण ॥५ जइयहुँ भिडिउ रणङ्गणे इन्दों• जाउ कुल-क्खउ सजण-विन्दहों ॥ ६ 'तहिँ वि कालें पइँ दुक्खु ण णयउ जिह खर-दूसण-मरणे जायउ' ॥ ७ भणइ पडीवउ णिसियर-णाहो 'सुन्दरि जइ ण करइ अवराहो ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ तो हउँ कहमि तउ उ खर-दूसण-दुक्खुच्छई। एत्तिउ डाहु पर ___"जं मई वइदेहि ण इच्छई' ॥९ तं णिसुणेवि वयणु ससिवयण' पुणु वि हसेवि वुत्तु मिगणयणऍ॥ १ 'अहाँ दहगीव जीवे-संतावण एउ अजुत्तु वुत्तु पइँ रावण ॥२ ॥ किं जगें अयस-पडहु अफालहि उभय विसुद्ध वंस किं मइलहि ॥३ किं.णारइयहाँ णरऍ ण वीहहि पर-धणु पर-कलत्तु जं ईहहि ॥४ जिणवर-सासणे पञ्च विरुद्ध दुग्गइ जाइ णिन्ति अविसुद्धइँ ॥५ पहिलउ वहु छजीव-णिकायहुँ वीयउ गम्मइ मिच्छावायहुँ॥ ६ तइयउ जं पर-व्वु लइज्जइ चउथउ पर-कलत्तु सेविज्जइ॥७ पञ्चमु णउ पमाणु घरवारहों आयहिँ गम्मइ भव-संसारहों ॥८ ॥ घत्ता॥ पर-लोऍ वि ण सुहु इह-लोएँ वि अयस-पडाइय । सुन्दर होइ ण तिय ऍर्य-वेसें जमउरि आइय' ॥९ [७] पुणु पुणु पिहुल-णियम्ब किसोयरि भणइ हियत्तणेण मन्दोयर ॥१ 'जं सुहु कालकूडु विसु खुन्तहुँ जं सुहु पलयाणलु पइसन्तहुँ ॥२ b. 1 PS पभणिउ. 2 P°करिमरि. ३P S °पन्भार . 4 A वहरिदल. 5 Pणाइउं. 6 P जायउं. 7 S दुक्ख. 8 A च्छिय. 9 A एत्तियउ. 10 PS D. 11 A इच्छिय. , 6. 1 A दीव. 2 PS उहय. 3 P °हणु. 4 A अविरुद्धइ. 5 PS मायहो. 65 .. [५] १ गज(?). २ सिंहः. (P. 's. Heading). हे दुःखं तिष्ठतु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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