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चपन्तए
पापण
21,१-९,२,१-८]
उज्झाकण्डं-एक्कचालीसमो संघि [१५७ । __ . [४६. एक्कचालीसमो संधि]
खर-दूसण गिलेवि चन्दणहिहें तित्ति ण जाइय । णं ख़य-काल-छुह रावणहाँ पडीवी धाइय ॥
[१] सम्वुकुमार-वीरें अत्यन्तएँ खर-दूसण-संगामें समत्तएँ ॥१ ॥ दूरोसारिएँ सुन्द-महव्वले तमलङ्कार-णयरु गएँ हरि-वलें ॥२ एथएँ असुर-मल्लें सुर-डामरे लङ्काहि वहु-लद्ध-महावरें ॥३ पर-वल-वल-पवाणाहिन्दोलणे वइरि-समुद्द-रउद्द-विरोलणें ॥४ मुक्कडस-मयगल-गलथल्लणे दाण-रणङ्गणे हत्थुत्थल्लणें ॥ ५ विहडिय-भड-थड-किय-कर्डमद्दणे कामिणि-जण-मण-णयणाणन्दणें ॥ ६ ॥ सीयऍ सहु सुरवर-संतावणे छुड्ड छुडु लङ्क पइट्ठऍ रावणे ॥ ७ तहिँ अवसरें चन्दणहि पराइय णिवडिय कम-कमलेहिँ दुह-घाइय ॥८
॥ घत्ता ॥ 'सम्वुकुमार मुउ खर-दूसण जम-पहें लाइय। , पइँ 'जीवन्तऍण एही अवत्थ हउँ पाइय' ॥९
[२] तं चन्दणहिहे. वयणु दयावणु णिसुर्णेवि थिउ हेट्ठामुहु रावणु ॥१ णं मयलन्छणु णिप्पहु जायउ गिरि व देवग्गि-दड्ड विच्छायउ ॥२ ... णं मुणिवरु चारित्त-विभट्ठउ भविउ व भव-संसारहों तट्ठउ ॥ ३ वाह-भरन्त-णयणु मुह-कायरु गहॅण गहिउ णं हूउ दिवायरु ॥ ४ ॥ दुक्खु दुक्खु दुक्खेणामेल्लिउ सयण-सणेहु सरन्तु पवोल्लिउ ॥५. 'घाईउ जेण सम्वु खरूं दूसणु तं पट्ठवमि अज्जु जमसासणु ॥ ६ अहवइ एण काइँ माहप्पें । को ण मरइ अंपूरें मप्पें ॥७ . धीरी होहि पमायहि "सोओ कासु ण जम्मण-मरण-विओओ" ॥८
1. 1 s चंदणहिं. 2 P S °वीर. 3 P S °संगाम. 4 PS दूरोसारिय, A दूरासारिय. 5 P. सुंइ, s सुंडु. 6 A °नयरे. 7 s इत्थइ, A एत्थुए. 8 P S लंकाहिवि, A लंकाहिव. 9 A कडवंदणे. 10 s. omits the Ghatta. 11 P मइ.
2. 1s चंदणहिहिं. 25 अदयावणु. 3 P रवेण, S दवेण. 4 P S चारित्त. 5 Ps 'भरंतु णयण'. 6 PS हूय. 7 PS खइउ. 8 P.S A खर. 9 P S अपुपणे. 10 P सोउ, A सोड. 11 P A विओड.. [१] १ हे रावण, त्वयि विद्यमाने. [२] १त्रस्तः,
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