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के०१३, १-१०,१४,१-१०]
उज्झाकण्डं-चालीसमो संधि [१५३
[१३] ॥दुवई॥ ए आलाव जाव वदृन्ति परोप्परु राम-लक्खणे ।
ताव विराहिओ वि वल-परिमिउ पत्तु तहिं जि तक्खणे ॥ १ तो ताव कियञ्जलि-हत्थएण महिवीढोणामिय-मत्थएण ॥x वलएउ णमिउ विजाहरेण जिणु जम्मण जेम पुरन्दरेण ॥ ३ आसीस देवि गुरु-मलहरेण सोमित्ति पपुच्छिउ हलहरेण ॥ ४ 'सहुँ सेण्णे पर्णमिउ कवणु एहु. णं तारा-परिमिउ हेरिणदेहु ॥५ तं वयणु सुणेप्पिणु पुरिस-सीहु। थिर-थोर-महाभुअ-फलिह-दीहु ॥६ सब्भावें रामहाँ कहइ एम __ 'चन्दोयर-णन्दणु एहु देव ॥ ७ खर-दूसणारि महु परम-मित्तु गिरि मेरु जेम थिर-थोर-चित्तु ॥८ 10 तो एम पसंसेवि तक्खणेण 'हिय जाणइ' अक्खिउ लक्खणेण ॥९
॥ घत्ता ॥ 'कहिँ कुढे लग्गेसमि कहि मि गवेसमि दइवे परम्मुहें किं करमि। । क्लु सीया-सोएं मरइ विओएं एण मरन्तें हउँ मरमि' ॥ १० [१४]
15 ॥दुवई॥ तं णिसुणेवि वयणु चिन्ताविउ चन्दोयरहों णन्दणो।
विमणु विसण्ण-देह गह-पीडिउ णं 'सारङ्ग-लन्छणो ॥१ 'जं.जं किं पि वत्थु आसङ्कमि तं तं णिप्फल कहिँ अवठम्भमि ॥२ एय मुएवि कालु किह खेविंउ णिद्धणो वि वरि वड्डउ सेविउ ॥ ३ होउ म होउ तो वि ओलग्गमि मुणि जिह जिण दिदु चलणहिं लग्गमि॥४ २० विहि केत्तडउ. कालु विणडेसइ अवरों के दिवसु वि 'सिय होसई' ॥५ एम भणेवि वुत्तु णारायणु 'कुढे लग्गेवंउ केत्तिउ कारणु ॥ ६ ताव गवेसहुँ जाम णिहालिय' लहु सण्णाह-भेरि अप्फालिय ॥ ७ साहणु दस-दिसेहिँ संचल्लिउ आउ पडीवउ जय-सिरि-मेल्लिउ ॥ ८ जोइस-चक्कु णाइँ परियत्तउ णं सिद्धत्तणु सिद्धि ण पत्तउ ॥
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॥ घत्ता ।। विजाहर-साहणु स-धउ स-चाहणु थिउ हेट्ठामुह विमण-मणु । हिम-वाएं दडउ मयरन्दडउणं कोमाणउ कमल-वणु ॥ १० : 13. 1 P विराहिउ, विराहियो. 2 A परिमिउं. 3 A नमि. 4 A मगहरेण. 5 A पणमिडं.
14. 1 चिंताविअउ. 2 A सासणे; P marginally notes 'सामणि' पाठे. 3 PS कट्टिय सइ. 4 P लग्गेवउ, S लग्गेध्वउ. 5 PS मयरंदुड्डउ. 6 A कोमाणउं. [१३] १ वार्तालाप. २ चंद्रः, [१४] १ चंद्रः. २ लक्ष्मीः .
स०प० च०२०
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