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. १५२] सयम्भुकिउ पउमचरित
[क०११, १-१०,१२,1-10
[११] ॥ दुवई । उडुअ-पुच्छ-दण्ड-वेयण्ड-रसन्तय-मत्त-वाहणं । - पाडिएँ अतुल-मल्लें खरें दूसणे पडियमसेस-साहणं ॥१ सत्त सहास भिडन्ते मारिय दूसणेण सहुँ सत्त वियारिय॥२ चउँदह सहस गरिन्दहुँ घाइय णं कप्पदुम व विणिवाइय ॥३ मण्डिय मेइणि णरवर-छत्तेहिँ णावइ सरय-लच्छि सयवत्तेहिँ ॥४ कत्थइ रत्तारत्त पदीसिय णाइँ विलासिणि घुसिण-विहूसिय ॥ ५ तो एत्थन्तर रह गय-वाहणे कलयलु घुडे विराहिय-साहणे ॥ ६ दिण्णाणन्द-भेरि अणुराएं रणु परिअश्चिउ दसरह-जाएं ॥७ 1. 'चन्दोअर-सुअ महु करें वुत्तउ ताम महाहवे अच्छु मुहुत्तउ ॥८ जीव गवेसमि भाइ महारउ सहुँ वइदेहिएँ पाण-पियारउ ॥९
॥घत्ता ॥ खर-दूसण मारवि जिणु जयकारेंवि लक्खणु रामहाँ पासु गउ । णं तिहुअणु घाऍवि जम-पहें लाऍवि कालु कियन्तहाँ सम्मुहउ ॥१०
[१२] ॥ दुवई । हलहरु लक्खणेण लक्खिजइ सीया-सोय-णिन्भरो।
घत्तिय तोण-वाण महि-मण्डले कर-परिचत्त-धणुहरो ॥१ विओय-सोय-तत्तओ
करि व्व भग्ग-दन्तओ ॥२ तरु व्व छिण्ण-डालओ फणि व्व णिप्फणालओ ॥ ३ "गिरि व्व वज-सूडिओ
ससि व्व राहु-पीडिओ ॥४ अपाणिउव्व मेहओ
वणे विसण्ण-देहओ ॥ ५, वलो सुमित्ति-पुत्तिणं
पपुच्छिओ तुरन्तिण ॥६ 'ण दीसए विहङ्गओ
स-सीयओ कहिं गओ' ॥७ सुणेवि तस्स जम्पियं
तैमक्खियं ण जंपियं ॥८ 25 'वणे विणट्ट जाणई
ण को वि वत्त जाणई॥९
॥ घत्ता ॥ जो पक्खि रणेऽजउ दिण्णु सहेजउ सो वि समरें संघारियंउ । केणावि पंचण्डे दिढ-भुअ-दण्डे णेवि तलैप्पऍ मारियउ' ॥ १० ___ 11. 1 PS A पुंछ. 2 A रमतूरसमाहयमत्त; also noted marginally in r. 3 P चोद्दह, s चौदह. 4 A 'छिन्नेहिं. 5 P वुत्तउं. 6 A अत्थु. 7 P मुहुत्तउं, A महंतउ. 8 Ps. जाउ.9 PS कियंतु वि.
12. 1 Ps करे. 2S अवाणिउ. 3 A पइट्ट. 4 PS जाणई. 5 P संघारिअउं. 65 पचंडे हैं. 7 °दंडेहिं. 8 A तलप्फए. [१२] १ जलरहितः. २ तत्कथितं न यत् प्रियं लक्ष्मणस्य. ३ रण अजयः,
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