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________________ १५०] सयम्भुकिउ पउमवरिउ [क०७,७-१३,८,१-१२ तहिँ अपरायण खर-णारायण ॥७ भिडिय महवल वियड-उरत्थल ॥८. के.वि समच्छर वे वि भयङ्कर ॥९ वे वि अकायर वे वि जसायर ॥ १० 5 वे वि महठभडे वे वि अणुब्भड ॥११ वे वि धणुद्धर वेण्णि वि दुद्धर ॥ १२ ॥ थचा.॥ . वेण्णि वि जस-लुद्धा अमरिस-कुद्धा तिहुर्यण-मल्ल समावडिय। अमरिन्द-दसाणण विप्फुरियाणण णाई परोप्परु अभिडिय ॥ १३ [८] ॥ दुवई ॥ ताम जणदणेण अद्धेन्दु विसजिउ रण भयङ्करो। णं खय-कालें कालु उद्धाइउ तिहुअण-जेण-खयङ्करो॥१ संचल्लु वाणु णहयल-समाणु ॥२ रिउ-रहहाँ ढुक्कु खरु कह वि चुकु॥३ 15 सारहि वि भिण्णु धय-दण्डु छिण्णु ॥४ धणुहरु वि भग्गु कत्थ वि ण लग्गु ॥ ५ पाडिउ विमाण विजऍ समाणु ॥६ खरु 'विरहु जाउ थिउ असि-सहाउ ।। ७ धाइउ तुरन्तु मुह-विप्फुरन्तु ॥८ 20 एत्तहे वि तेण णारायणेण ॥ ९ . तं सूरहासु किउ करें पगासु ॥ १० अन्भिट्ट वे वि असिवर. लेवि ॥ ११, ॥ घत्ता ॥ णाणाविह-याणेहिं णिय-विण्णाणेहिँ वावरन्ति असि-गहिय-कर। , 25 कसणगय दीसिय विज्जु-विहूसिय णं णव-पाउसें अम्वुहर ॥ १२ 3 P A तिहुण', 8.1 PS °जग. 2 A हस्थि. 3 P अभिडिय.. 4 A °करणेहिं. ३ इन विद्याधरु. [८] १ रथरहितः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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