________________
क०५,८-१०,६,१-१०,७,१-६] उज्झाकण्डं-चालीसमो संधि [१४९ वाहुवलेण बलेण विवलियउणं खय-कालु कियन्तहों मिलियउ' ८ पभणइ मन्ति बिमाणे पइट्ठउ 'किं पइँ वइरि कयावि ण दिट्ठउ ॥९
॥ घत्ता णामेण विराहिउ पवर-जसाहिउ वियड-वच्छु थिर-थोर-भुई। अणुराहा-णन्दणु स-बलु स-सन्दणु ऍहुँ सो चन्दोअरहों सुउ' ॥ १०
॥
॥दुवई। मन्ति-णिवाण विहि मि अवरोप्पर ए आलाव जाहिँ । • विण्हु-विराहिएहिँ आयामिउ पर-वलु सयलु ताहिँ ॥१ तो खरोऽरिमद्दणेण
कोकिओ जणदणेण ॥२ एत्तहे स-सन्दणेण
सोऽणुराह-णन्दणेण ॥३ आहवे समत्थएण
चाव-वाण-हत्थएण ॥४ गुञ्ज-वण्ण-लोयणेण
भीसणावलोयणेण ॥५ कुम्भि-कुम्भ-दारणेण
पुव्व-वंइर-कारणेण ॥६ दूसणो जसाहिवेण
कोकिओ विराहिएण ॥७ एहुँ वे(?) हओ हयस्स
चोइओ गओ गयेस्स ॥ ८ . . वाहिओ रहो रहस्स
धाइओ णरो णरस्स ॥९
.
॥ घत्ता
॥
स-गुड-स-सण्णाहइँ कवय-सणाहइँ सप्पहरणइँ स-वाहण। णिय-वइरु सरेप्पिणु हकारेप्पिणु भिडियइँ वेणि मि साहणइँ ॥१०
[७] ॥ दुवई ॥ सेग्णहाँ भिडिउ सेण्णु दूसणहाँ विराहिउ खरहाँ लक्षणो।
__हय पडुपडह तूर किउ कलयलु गल-गम्भीर-भीसणो ॥१ तहिँ रण-संगम
वुण्ण-तुरङ्गमें ॥२ रह-गय-गोन्दले.
वजिय-मन्दलें ॥३ भड-कडमद्दणे
मोडिय-सन्दणे॥४ णरवर-दण्डिएँ
किय-किलिविण्डिए॥५ वाला-लुश्चिएँ
रह-सय-खश्चिऍ॥६ 8 A ओहु. . 6. 1 s येव. 2 PS °वेर'. 3 P एत्थ, S इत्थ. 4 Pगवो. 55 गवस्स. GA ढोइओ, 7PS °सणाहइ.
7. 1A मद्दले. 2 A omits this 'pada. २ विस्तीर्ण-हृदयः. [६] १ नृपस्य. २ लक्ष्मणेन. ३ दूसनः ४ 'अणुराहा'-राज्ञी-नन्दणेण विराधिकेन. [७] १ कृत-ऊर्ध्व-मुखाः. २ मेलापके.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org