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________________ १४८ ] सयम्भुकिङ पउमचरिउ लक्खण-सर- भरियउ साह ण वन्धइ 15 तहिँ अवसरें पवर-जसाहिएण 'पाइकड़ों वट्टइ एहु कालु 1" कहिओ सि आसि जो चारणेहिँ तं सहल मणोरह अज्जु जाय णिय-जणणिहँ हाँ गन्भत्थु जइड सहुँताएं हु पाइक-पंवरु तें समर - महभय-भीसणे हिं जय-लच्छि - पसाहिउ तुहुँ खरु आयामहि 2 ४ ॥ दुवई ॥ परधण-परकलत्त-परिसेसहुँ परवल-सेण्णिवाय हुं |: एक्के लक्खणेण विणिवाइय सत्त सहास रायहुं ॥ १ जीवन्तऍ अद्धऍ वइरि सेण्णें' C ॥ घन्ता ॥ अदुवरियउ गम ण सन्धइ णबलउ कामिणि पेम्मु जिह ॥ १० खर- दूसण-वलु 'दि हि । . り [ ४ ] एउ सेण्णु खर- दूसण- केरउ स-धउ स-वाहणु स-पहु स-हत्थें तुज्झु वि जम्म भूमि दरिसावमि हरि-वयहिँ हरिसिउ विज्जाहरु 25 ताव खरेण समरें णिब्बूढें 'दीसइ कवणु एहु 'वीसत्थउ Jain Education International [ क० ३,१०४, १-१०५१०७ अद्धऍ दलवट्टिएँ महि-णिसपणे ॥ २ भइ विरीहि रणउ णामहि [५] wwwww जोक्कार विvg विराहिएण ॥ ३ उँभि देव तुहुँ सामिसालु ॥ ४ सो लक्खओ सिसइँ लोयणेहिं ॥ ५ जं दिट्ठ तुहारा वे वि पाय ॥ ६ विणिवाइड पिउ महु तणउ तइउ ॥ ७ उद्दालिङ तमलङ्कार - णयरु ॥ ८ सहुँ पु-रु खर- दूसणेहिं ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ ॥ दुवई ॥ तं णिसुणेवि वयणु विज्जाहरु मम्भीसिउ कुमारेंणं । 'वइसरु ताव जाव रिउ पाडमि एक्के सर पहारेंणं ॥ १ 20 'पहु पसाउ मह पेस हों । हाँ अग्भिट्टमि दूसणहों' ॥ १० वाहिँ करम अज्जुं विवरेर ॥ २ लायमि सम्वु कुमारहों पन्थें ॥ ३ तमलङ्कार-णयरु भुञ्जामि ॥ ४ चलणेंहिँ पडिउ सीसें लाऍवि करु ॥ ५ पुच्छिउ मन्ति विमाणारूढें ॥ ६ रुपणमन्तु कियञ्जलि - हत्थउ ॥ ७ 6PS नवल्लउ. A 4. 1 P°सेण, s सेण्ण. 2 Ps वद्दरिसेण्ण, A °सेने. 3P's सयल, 4 Ps सहु, 4 महुँ. 5 P वरु, A पयरु, 6P A विराहिओ. 5. 1 Ps जाव. 2 Ps लाविय [४] १ मेलापकम् २ सैन्या. ३ पाताल-लङ्का नगरम् . [५] १ निराकुलः. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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