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कं , १-९,८,३-१०]
उज्झाकण्डं-एगुणचालीसमो संधि [१४३
[७] तं चलण-जुअलु.गइ-मन्थरउ सउणहिँ खज्जन्तु भयङ्करउ॥ १ तं सुरय-णियम्वु सुहावणउ किमि-विलविलन्तुं चिलिसावणउ ॥२. तं णाहि-पएK किसोयरउ खजन्त-माणु थिउ भासुरउ ॥३ तं जोवणु अवरुण्डण-मणउ सुज्जन्तु णवर भीसावण ॥ ४ । तं सुन्दरु वयणु जियन्ताहुँ किमि-कप्पिउ णवर मरन्ताहँ॥५ तं अहर-विम्वु वण्णुजलउ . लुञ्चन्तु सिवहिँ घिणि-विट्टलँउ ॥ ६ .तं णयण-जुअलु विब्भम-भरिउ विच्छायउ काऍहिँ कप्परिउ ॥७ सो चिहुर-भारु कोड्डावणउ उड्डन्तु णवर भीसावणउ ॥ ८
॥ पत्ता ॥ तं माणुसु तं मुह-कमलु ते थण तं गाढालिङ्गणु । णवर धरेप्पिणु णासउडु वोल्लेवउ "धिधि" चिलिसावणु"॥९
[८] तहिँ तेहऍ रस-वस-पूय-भरें णव मास वसेवउ देह-घर ॥१ णव-णाहि-कमलु उत्थल्लु जहिँ पहिलउ जे पिण्ड-संवन्धु तहिँ ॥२ ॥ दस-दिवसु परिट्ठिउ रुहिर-जलें क' जेम पइण्णउँ धरणियलें ॥३ विहिँ दसरत्तेहिँ समुट्ठियउ णं जलें डिण्डीरु परिट्ठियउ ॥४ तिहिं. दसरतेंहिँ वुवुउ घडिउ णं सिसिर-विन्दु कुङ्कुम पडिउ ॥५ दसरत्ते चउत्थऍ वित्थरिउ णावइ पवलङ्कुरु णीसरिउ ॥ ६. पञ्चमें दसरत्तें जाउ वलिउ णं सूरण-कन्दु चउप्फलिउ ॥ ७ ॥ दस-दसरतेंहिँ कर-चरण-सिरु वीसहिँ णिप्पण्णु सरीरु थिरु ॥८ णवमासिउ देहहाँ णीसरिउ वड्डन्तु पडीवउ वीसरिउ ॥ ९
|| पत्ता ॥ जेण दुवारें आइयउ जो तं परिहरेंवि ण सका।
पन्तिहिँ जुत्तु वइल्लु जिह भव-संसार भमन्तु ण थक्कइ ॥ १० 25 7. 1 Ps सुहावणउं. 2 P S वुडबुडंति चिलिसावगउं. 3 P तण्णाहि'. 4 A °पवेसु. 5 P किसोयरउं. 6 P खजंतमाण, A खजंतमाल.7 P°मणउं. 8 P भीसावणउं. 9 P.विट्टलउं. 10 A कप्परिउं. 11 P कोडावणउ, A कोड्डावणउं. 12 P गाढालिंगणउं, s गाढालिंगणउ. 13 Pणवरि. 14 P S धरेविणु. 15 PS वोलिजइ. 16 P घिधि, s छिषि.'17 PS चिलिसावणउ.
8. 1 PS °भूय. 2 PS पिंडु. 3 PS 'जलु. 4 s कण्णु. 5_P S पईयउ. 6 P वरणियलु. 7 P वुध्वुवउ. 8 P चउत्थहे, S चउत्थहि. 9*s 'संसारु, A सो संसारे. [७] १ काकैर्विदारितः. [८] १ १०० शतदिवसैः. २ योनिमुखे. ३ तेलीबलीववत्.
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