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[क०५,१-९,६,१-९
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— १४२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[५] तं वयणु सुणेप्पिणु भणइ वलु .. मेल्लन्तु णिरन्तर अंसु-जलु ॥१ लब्भन्ति गाम-वरपट्टण. सीयल-विउलइँ णन्दण-वैणइँ ॥२ लब्भन्ति तुरङ्गम मत्त गय रह कणय-दण्ड-धुवन्त-धय ।। ३ लब्भन्ति भिच्चेवर आण-कर लभइ अणुहुछेवि स-धंर धर ॥४ लब्भइ घर परियणु वन्धु-जणु लब्भइ सिय सम्पय दव्वु धणु ॥ ५ लब्भइ तम्बोलु विलेवर्णउ लब्भइ हियइच्छिउ भोयणउ ॥ ६ लब्भइ भिङ्गारोलम्बियउ पाणिउ कप्पूर-करम्वियउ ॥ ७ हियइच्छिउ मणहरु पियवयणु पर एहु ण लब्भइ तिय-रयणु ॥८
॥ घत्ता॥ तं जोवणु तं मुह-कमलु तं सुरउ सवदृण हत्थउ । . जेण ण माणिउ एत्थु जगें तहों जीविड़ सबु णिरत्थ' ॥९
परमेसरु पभणइ वैलेंवि मुहु 'तिय-रयणु पंसंसहि काइँ तुहुँ ॥१ . "पेक्खन्तहुँ पर वण्णुजलउ अब्भन्तरें रुहिर-चिलिविलउ ॥२ - दुग्गन्ध-देहु घिणि-विट्टलउ परं चम्में हड्डहुँ पोट्टलउ ॥३
मायामें जन्तें परिभमइ भिण्णउ णव-णाडिहिँ परिसवइ ॥ ४ कम्मट्ठ-गण्ठि-सय-सिक्किरिउँ रस-वस-सोणिय-कद्दम-भरिउ ॥ ५ वहु-मस-रासि किमि-कीड-हरु खट्टहें वइरिउ भूमीहें भरु ॥६ " आहारहों पिसिवउ सीवियउ णिसि मडउ दिवसें संजीवियउ॥ ७ णीसासूसासु करन्ताहुँ गउ जम्मु जियन्त-मरन्ताहुँ ॥८...
॥ घत्ता ॥ मरण-काले किमि-कप्परिउ जे पेक्खेंवि मुहु वङ्किजइ ।
घिणिहिणन्तु मक्खिय-सऍहिं तं तेहउ केम रमिजइ ॥९ b. 1 P पट्टधाई. 2 P A विउलइ. 3 P °वणाई. 4 P धुब्बंति. 5 P भिश्च बहु. 6 A सविसधर. 7PA विलेवणउं. 8 A भोयणउं. 2 A पाणिउं. 10 P सुरउं. 11 A सचुड्डण. 12 P°हथक्कउ.
6. 1 PS मुहूं, A महुं. 2 PA पसंसहिं. 3 A विट्टिलउ. 4 PS वरि. 5s जति.6s परिन्भमइ. 7 P भिन्नउं. 8 A सिक्करिउ. 9 PS °दुरख. 10 PS बहु भूमि-भरु. 11 Ps दियह..
[:] १ मुखं वक्रं कृत्वा. २ उपरि (Reading वरि). ३ माया-यन्त्रम्. ४ वर्धते पुण्यप्रदेशः(?). ५ कीटकैः विध्वंस्यते. ६ स्त्रीशरीरम् .
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