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१४०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
· णीसीय
वणु अवयज्जियेs मेह - विन्दु णिविज्जुलउ भोय लवण- जुत्ति-रहिउ णं दत्ति-विवज्जिउ किविण धणु पुणु जोअइ गुहिलेंहिँ पइसरें वि 1. पुणु जोवइ गिरि- विवरन्तरें हिं ताणन्तरें दिट्टु जडाइ वर्णे
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[ ३९. एगुणचालीसमो संधि ]
कुठें लग्गेपणु लक्खणहों तं जि लयाहरु तं जि तरु
पहर - विहुर-घुम्मन्त-तणु • तावेहिं वुज्झिउ राहण
पुणु दिण्ण तेण सुह वसु-हारा जे सारभूय जिण - सासणहों लद्धेहिं जेहिँ दिढ होइ मइ लद्धेहिँ जेहिं संभवइ सुहु 20 ते दिण्ण विहङ्गहों राहवेण 'जाएजहि परम सुहावहॅण तं वयणु सुर्णेवि सवाय रेंण जं मुउ जडाइ हिय जणय-सुअ
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[ क० १, १-८१२, १=$
वलु जाम पडीवर आवह | पर सीय ण अप्पउ दावइ ॥
[१]
णं संररुहु लच्छि - विसज्जिय ॥ १ णं मुनिवर- वयणु अ वच्छलउ ॥ २ अरहन्तं विम्वु णं अं - सहि ॥ ३ तिह सीय - विणउ दिट्टु वणु ॥ ४ थिय जाणइ जाणइ ओसरेंवि ॥ ५ थिय जाणइ वि' कन्दरेहिं ॥ ६ 'संसूडिय - गत्तउ पडिउ रणें ॥ ७ ॥ घता ॥
जं दिन पक्खि णिद्दलियउ । हि जाणइ केण वि छलियँउ ॥ ८ [२]
॥
'कहिँ हाँ कहिँ हरि कहिँ घरिणि भूय- वलि व कुडुम्वु जंग
उच्चारेंवि पश्ञ्च णमोक्कारा ॥ १ जे मरण-सहाय भव-जणहों ॥ २ लद्धेहिँ जेहिँ परलोय - गइ ॥ ३ लद्धेहिँ जेहिँ णिज्जरइ दुहु ॥ ४ किय- णिसियर - णियर-पराहवेंण ॥ ५ अणरण्णाणन्तवीर - पहॅण' ॥ ६ लहु पाण विसज्जिय णहयरेंण ॥ ७ धाहाविउ उब्भा करेंवि भुअ ॥ ८
घत्ता ॥
कहिँ घरु कहिँ परियणु छिपेण । हय-दइवें कह विक्खिणउ ॥ ९
1. 1 P अवयज्जिअउं. 2 P अवच्छ लिड. 3 P अवसहिउं. 4 A ° बिहूणउं. 5 A पईसरेषि. 6 P उल्लरिवे. 7 A ल्हुक्के वि. 8 A तरुवरेहिं. 9 A हिय जाणइ केण वि छलिवि रणे. 10 P फंदं तत्तणु, marginally 'घुम्मंत' पाठे. 11 P महिला. 12 P च्छलिभउ.
2. 1 A च्छिण्णउं. 2 P जिह, marginally जगे, 3 P विखिण्उं.
[१] १. २ कमल. ३ देवगृह वसतिका-रहितंम्.
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