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१८,३-९, १९, १-९]
उज्झाकण्डं-अटुतीसमो संधि [१३९ . पुणु दससिरु संचल्लु स-सीयउणहयले णा. दिवायरु वीयउ॥ ३ मज्झें समुद्दों जयसिरि-माणणु पुणु वोल्लेवऍ लग्गु दसाणणु ॥४ 'काइँ गहिल्लिएँ मइँ ण समिच्छहि किं महएवि-पटु ण समिच्छहि ॥ ५ . किं णिक्कण्टंउ रज्जु ण भुञ्जहि किं ण वि सुरय-सोक्खु अणुहुँजहि ॥६ किं महु केण वि भग्गु मडप्फरु किं दूहउ किं कहि मि असुन्दरु' ॥७ । एम भणेवि आलिङ्गइ जाहिँ जणय-सुयएँ णिब्भच्छिउ ताहिँ ॥८
•॥ घत्ता ॥ 'दिवसेंहिं थोवऍहिँ तुहुँ रावण समरें जिणेवउ । अम्हहुँ वारियएँ राम-सरेंहिँ आलिङ्गेवउ' ॥९
[१९] गिट्ठर-वयणहिँ दोच्छिउ जाहिँ दहमुहु हुअउ विलक्खउ ताहिँ ॥ १ 'जइ मारमि तो एह ण पेच्छमि वोल्लउ सव्वु हसेप्पिणु अच्छमि ॥२ अवरों के दिवसु इ इच्छेसइ सरहसु कण्ठ-रंगहणु करेसइ ॥ ३ 'अण्णु वि मइँ "णिय-वउ पालेबउ मण्डऍ पर-कलत्तु ण लएबउ ॥४ एम भणेवि चलिउ सुर-डामरु लङ्क पराइउ लद्ध-महावरु ॥ ५ ॥ सीयऍ वुत्तु 'ण पइसमि पट्टणे अच्छमि एत्थु विउले णन्दणवणे ॥६ जाव.प सुणमि वत्त भत्तारों ताव णिवित्ति मज्झु आहारहों ॥७ तं णिसुणेवि उववणे पइसारिय सीसव-रुक्ख-मूलें वइसारिय ॥८
॥ पत्ता ॥ मेलेविसीय वणे गउ रावणु घरहों तुरन्तउ । धवलहिँ मङ्गलहिँ थिउ रज्जु से ई भु अन्तउ ॥९
18. 1 P ससीभउं. 2 A वोल्लेब्वइ. 3 PA काइ. 4 P A अणुहुँजहिं. 5 P थोवेहिं. 6 A रामण. 7 P तुहु राम.
19. 14 हूउ. 2 P वोलउ. 3 P अवसइ. 4 P कदिवस. 5 P कंठागहणु. 6 A पालेवड. 7 लद्ध. 8 P सयइ.
[१८] १ परिपाट्या. [१९] १ गृहीतं निज-व्रतम्. २ हठात,
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