________________
१३८ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १६, ५-९,१७,१-१०,१४,9-1 वलिउ विमाणु तेण पडिवक्खहाँ 'तिय का वि भणइ मइँ रक्खहाँ ॥४ लक्खण-राम वे वि हक्कारइ भामण्डलहाँ णामु उच्चारई ॥ ५ मञ्छुडु एह सीय ऍहु रावणु अण्णु ण पर-कलत्त-संतावणु॥६ अच्छउणिवहाँ पासु जाएवउ एण समाणु अजु जुज्झेवउ ॥७ एम भणेवि तेण हक्कारिउ 'कहिँ तिय लेवि जाहि' पञ्चारिउ ॥८
॥घत्ता ॥ 'विहि मि भिन्ताहुँ जिह हणइ एक जिहं हम्मइ। गेण्हेवि जणय-सुय वलु वलु कहिँ रावण गम्मइ' ॥९
[१७] 1 वलिउ दसाणणु तिहुअण-कण्टउ सीहहों सीहु जेम अन्भिट्टउ ॥१
जेम गइन्दु गइन्दहाँ धाइउ मेहहाँ मेहु जेम उद्धाइउ ॥२ .. भिडिय महावल विजा-पाणेहिँ वे वि परिट्ठिय सिविया-जाणेहिँ ॥ ३ वे वि पसाहिय णाणाहरणेहि वेण्णि वि वावरन्ति णिय-करणेंहिँ ॥४ वेण्णि वि घाय देन्ति अवरोप्परु मणे विरुद्ध भामण्डल-किङ्करु ॥५ वर-करवालु करेप्पिणु करयले पहउ दसाणणु वियड-उरत्थलें ॥६ पडिउ घुलेप्पिणु जण्हुव-जोत्तेहिं रुहिरु पैदरिसिउ दसहि मि सोत्तेहिँ॥७ पुणु विज्जाहरेण पच्चारिउ 'सुरवर-समर-सऍहिँ अ-णिवारिउ ॥८ तुहुँ सो रावणु तिहुवण-कण्टउ एकें घाएं णवर पलोट्टिउ' ॥ ९
॥ घत्ता ॥ चेयर्ण लहेंवि रणे भडु उहिउ कुरुडु स-मच्छरु । तहाँ विजाहरहों थिउ रासिहिँ णाइँ सणिच्छरु ॥ १०
[१८] उट्ठिउ वीसपाणि असि लेन्तउ णाइँ स-विजु मेहु गजन्तउ ॥१ विजा-छेउ करेंवि विज्जाहर घत्तिउ जम्बूदीवन्भन्तरें ॥२
16. 1 A °ल. 2 s जाएवउ. 3 A जिव. *For the portion from °न्ताहुँ (38 16 9a) upto परमेसरु पभ ( 39 6 la)s could not be used because its folios 149 and 150 are missing.
17. 1 P A गइंद. 2 P मोहहो मोहु. 3 P मण, A मण. 4 A जण्णय. 5A पदरिसिउं. 6A चेयण.
[१७] १ क्रु ( For क्रूर ? )
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org