SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . १३४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ कि०८,४-९, ९, १-९, १०14 लइ लइ जइ सुरवरहुँ ण लजहि लइ लइ जइ णरयहाँ गमु सज्जहि ॥४ लइ लइ जइ परलोउ ण जाणहि लइ लइ जइ णिय-ऑउ ण माणहि ॥५ लइ लइ जइ णिय-रज्जु ण इच्छहि लइ लइ जइ जम-सासणु पेच्छहि ॥६ लइ लइ जइ णिविण्णउ पाणहुँ लइ लइ जइ उरु उड्डहि वाणहुँ' ॥ ७ । तं णिसुणेवि वयणु असुहावणु अइ-मयणाउरु पभणइ.रावणु ॥८ ॥ घत्ता॥ 'माणवि एह तिय जं जिजइ एक्कु मुहुत्तउ । सिव-सासय-सुहहाँ तहों पासिउ एउ वहुत्तउ' ॥ ९ [९] " विसयासत्त-चित्तु परियाणेवि विजऍ वुत्तु णिरुत्तउ जाणेवि ॥१ 'णिसुणि दसाणण 'पिसुणमि भेउ वेण्ह वि अत्थि एक्कु सङ्केउ ॥२ एह जो दीसइ सुहडु रणगणे वावरन्तु खर-दूसण-साहणे ॥३ एयहाँ सीहणाउ आयण्णेवि इट्ट-कलत्तु व तिण-समु मणेवि ॥४ धावइ.सीहु जेम ओरालेवि वज्जावत्तु चाउ अप्फालेंवि ॥ ५ " तुहुँ पुणु पच्छऍ धण उद्दालहि । पुप्फ-विमाणे छुहेवि संचालहि ॥६ तं णिसुंणेप्पिणु पणिउ राउ 'तो घुइँ पइँ जे करेवउ गाउ ॥७ पहु-आएसें विज पधाइय णिविसें तं संगामु पराइय ॥ ८ ॥ पत्ता ॥ लक्खणु गहिय-सरु जं णिसुणिउँ गाउ भयङ्कर । धाइउ दासरहि णहें स-धणु णा िणव-जलहरु ॥ ९ [१०] भीसणु सीह-णाउ णिसुणेप्पिणु धणुहरु करें सजीउ करेप्पिणु ॥१ तोणा-जुवलु लएवि पधाइउ 'मञ्छुडु लक्खणु रणे विणिवाइउ' ॥२ कुढे लग्गन्ते रामें सुणिमित्तइँ सउणु ण देन्ति होन्ति दु-णिमित्त.॥३ 2 PS A लजहिं. 3 PS A जाणहिं. 4 P णिग्विण्णउं, A निव्वण्णउं. 5 A माणेवि. 6 A धण, 7 P जिजए, A जीवमि. 8 A तं जि बहुत्तउ. 9. 1 A अक्खमि. 2 PS णहंगणे. 3 A णिसुणेविणु. 4 Pणाउँ. 5 PS णिविसं, A निविसें. 6A मुक्कु निण्णाउ भयंकरु, 10. 1 P A कुढि, s कुडि. 2 P S सोमित्तइं. [९] १ कथयामि. २ गलगर्जनं कृत्वा. ३ 'घइ शब्दः श्रीघ्रवाची' इति देशीनाममालायाम, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy