________________
क० ६, २-९,७, १-८,४,१-३] उज्झाकण्ड-अट्टतीसमो संधि [१३३ । अवलोयणिय विज मणे झाइय 'दे' आएसु.भणन्ति पराइय ॥२ . 'किं घोट्टेण महोवहि घोटॅमि किं पायालु णहङ्गणे लोट्टमि ॥ ३ . किं सहुँ सुरहिँ सुरेन्दु परजमि किं मयरद्धय-पुरि-गउ भञ्जमि ॥ ४ 'किं जम-महिस-सिङ्गु मुसुमूरमि किं सेसहों फणिमणि संचूरमि ।। ५ 'किं तक्खयाँ दाढ उप्पाडमि काल-कियन्त-वयणु किं फाडमि ॥६ किं' रवि-रह-तुरङ्ग उद्दालमि किं गिरि मेरु करग्गे टालमि ॥७ किं तइलोक्क-चक्कु संघारमि किं अत्थक्कएँ पलउ समारमि' ॥ ८
॥ घत्ता ॥ दसाणणेण 'एक्केण वि ण वि महु कज्जु । - तं सङ्केउ कहें जें हरमि एह तिय अजु' ॥९
[७] दहवयणों वयणेण सु-पुजऍ . पभणिउ पुणु अवलोयणि विजऍ ॥ १' 'जाव समुदावत्तु करेकहाँ वज्जावत्तु चाउ अण्णेकहाँ ॥ २ जावग्गेउ वाणु करें एकहों वायवु वारुणत्थु अण्णेकहों ॥३ जाम सीरु गम्भीरु करेक्कहाँ करयलें चक्काउहु अण्णेकहाँ ॥ ४० तावणारि को हरइ 'दिसेवहुँ मण्डए वासुएव-वलएवढं ॥ ५ इय पच्छण्ण वसन्ति वणन्तरें तेसट्ठी-पुरिसहुँ अब्भन्तरें ॥ ६ जिण घउवीस अर्द्ध गोवद्धण ___णव केसव राम णव रावण ॥ ७ .
। घत्ता ॥ ओएँ भवट्टम इयं वासुएव वलएव। . जाव णव हिय रणे तिय ताम लइज्जइ केव ॥८....
[८] अहवइ एण काइँ, सुण रावण एह णारि तिहुअण-संतावण ॥ १ लइ लइ जइ अजरामरु वहि लइ लइ जइ उप्पहेंण पयहि ॥२ लइ लड़ जइ वड्डत्तणु खण्डहि लइ लइ जइ जिण-सासणु छण्डहि ॥ ३ ॥ •6. 1 A देहे. 2 A घुट्टमि. 3 A पायाले. 4 PA मयरद्धए, 5 मयरद्धपय. 5 Line 5 missing in A. 6 This pada is missing in A. 7 P किंव. 8 P.कहें, 8A कहि. 9P विय.
.7. 1 P A पभणिउं, s यंभणिउ. 2 P S करेकहि, A करेकहे. 3 s माये भट्ठमये, A एय अट्ठमइं. 4 P एइय.
8. 1 A पुणु. [६] १ कालसंख्या समाप्ते विना. Fu] १ पथिकानाम. २ द्वादश चक्रवर्तिनः । एतेषां त्रिषत्रिपरुषाणां मध्ये भवौ एतावपि द्रौ...'
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org