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________________ क० १, २-८; ३, १–९; ४, १] . 'aft एकलओ वि पचाणणु वरि एकलओ वि मयलञ्छृणु aft एकलओ वि रयणायरु वरि एकलओ वि वइसाणरु उदह सहस एक्कु जो रुम्भइ पेक्खु केम पहरन्तु पईसइ हि गय हि तुरय rat sar हरि पहरन्तु पसंसिउ जावेंहि सुकइ - कहे व्व सु-सन्धि सु-सन्धिय थिर-कलंहस-गमण गइ-मन्थर रोमावलि मयरहरु त्तिणी अहिणव हैण्ड - पिण्ड - पीर्णे-त्थण tes वयण-कमलु अर्कलङ्कउ सु-ललिय- लोर्येण ललिय-पसेण्णहँ "घोल - पुट्टिहिं वेणि मँहाइणि किं बहु जम्पिऍण तं तं मेलवि उज्झाकडं - अतीसमो संधि [ १३१ ण उ सारङ्ग - विहु वेण्णाणणु ॥ २ णक्खत्त - विहु जिल्लञ्छणु ॥ ३ उ जलवाहिणि-नियंरु स- वित्रु ॥ ४ उ - वि स रुक्खु सँ - गिरिवरु ॥५ सो समरङ्गणे मइ मि' णिसुम्भइ ॥ ६ धणुहरु सरु संधणु ण दीसइ ॥ ७ ॥ घत्ता ॥ . हि रहवर हि धय-दण्डइँ दीसन्ति महियले रुण्डइँ' ॥ ८ [३] Grus reasक्खिय तावेंहिं ॥ १ सु-पय सु-वयण सु-सद्द सु-वद्धिय ॥ २ किस मज्झारें णियम् सु-वित्थर ॥ ३ णं पिम्पल' - रिछोलि विलिणी ॥ ४ णं मग उर- खम्भ - णिसुम्भण ॥ ५ णं माणस सरें वियसिउ पंङ्कउ ॥ ६ णं वरइत्त मिलिय वरं कण्णहँ ॥ ७ चन्दण-लयहिँ ललइ णं णाइणि ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ तिहिँ भुवणेंहिँ जं जं चङ्ग । इवें" णिम्मिउ अङ्ग ॥ ९ णं Jain Education International [ ४ ] रामु पसिउ पुणु दहगीवें ॥ १ तो एत्थन्तरें जिय-कुल- दीवें 2. 1 Psण य. 2 A °णिवहु. 3 A तणणिववहु. 4 Ps सतरुवरु. 5P चोहस, 9 चोहह. 6 Ps वि. 7 A पेक्खु. 8 A संधंतु. 3. 1 Ps सुकन्व. 24 मुयण. 3 A सुबंधिय 4 P पिंपलि°, A पिपीलि. 5 A वलिण्णी. 6 P °हुहू', $ 'हुडु'. 7 A ° सुण्ड 8 P अकलंकउं, s अकलंकओ. 9 P पंकडं. 10 Ps लोयणु. 11 A. 124 रवण्णहुँ. 13 PSA पुट्ठिहि. 14 P णं चंदन' 15 P भुवमिहिं, s भुय णिहिं, 4 भुयणेहिं. 16 A सीयदे घडियउ; P marginally', 'सीयहिं' पाठे. [२] १ ऊर्ध्वमुखाः. [३] १ सीतायाः ( ? ). २ कीटिका पति चटितः (ता). ३ मुखहीनो वर्द्धितो. ५ हस्तिनीव, उरसा स्तम्भं भजयते (?) हस्तिन्यः, अन्यत्र उरो हृदयं ६ पृथुलः ७ विधिना. For Private & Personal Use Only ४ पीन - हृदयाद् उदरतदेव स्तम्भं पीडयति. 4. 20 www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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