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________________ १३०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१५,१-९,१,५-१०२७ तइयउ सिरु धवलँउ धवल वयंणु फुरिआहरु दर-णिड्डरिय-णवणु ॥ ६ दुहरिसणु भीसणु वियड-दादु जिण-भत्तँउ जिणवर-धाम-गादु ॥७ एत्थन्तरें पर-बल-मद्दणेण वच्छत्थले विद्ध जणदणेण ॥४ ॥धत्ता ॥ णाराऍहिँ भिन्देवि सीसइँ छिन्दंवि रिउ महि-मण्डले पाडियउ । सुरवाहिँ पचण्डेंहिँ स इँ भु व-दण्डैहिँ कुसुम-वासु सिरे पाडियउ॥९ [३८. अट्ठतीसमो संधि तिसिरउ लक्खणेण समरङ्गणे घाइउ जाहिँ। तिहुअण-डमर-कर दहवयणु पराइउ ताहि ।। [१] लेहु विसजिउ जो सुर-सीहहाँ अग्गएँ पडिउँ गम्पि दसगीवहीं ॥१ पडिउ णाई वहु-दुक्खहँ भारु णाइँ णिसायर-कुल-संघारु ॥२ ..णाइँ भयङ्कर कलहों मूलु णाइँ दसाणण-मत्था-सूल ॥ ३ "लेहें कहिउ सव्वु अहिणाणहिँ 'सम्वुकुमार उलग्गइ पाणेहिँ ॥ ४ " अण्णु वि खग्ग-रयणु उद्दालिउ खर-घरिणिहें 'हिंयवउ विहारिउ ॥ ५ तं णिसुणेवि वे वि जसभूसण पर-वले भिडियं गम्पि खर-दूसण ॥ ६ णारि-रयणु णिरुवैमु सोहग्गउ अच्छई रावण तुज्झु में जोग्गउ ।। ७ लेहु णिऍवि अत्थाणु विसजेवि पुप्फैविमाणे चडिउ गलगजेंवि ॥ ८ करें करवालु करेप्पिणु धाइउ "णिविसें दण्डारण्णु पराइउ ॥ ९ ॥ पत्ता ।। ताव जणदणेण खरदूसण-साहणु रुद्धउ । थिउ चउरङ्ग वलु ण णिच्चलु संसऍ छुद्धउ ॥ १० . तो एत्थन्तर दीहर-णयणे लक्खणु पोमाइउ दहवयणें ॥ १ 58 A omit धवलउ, 6 P भत्तउं. 7 P पाडिअउं. ___ 1. 1 A दहगीउ. 2 A गंपि धित्तु. 3 A °दुक्खइ. 4 A मत्थए. 5 PS A लेहिं. 6 A मि. 75°घरिणिहिं. 8 A वयणु. 9 P 8 °वल. 10 A गंपि भिडिय. 11 A निरुवम. 12 This line is mising in A. 13 P S पुष्प', A पुप्प. 14 PS कर. 15 P णिवसें, 8 णिविसिं. 16 s जह. 17 P जिह णहे. [१] १ शरीरावयवः. २ चतुरङ्ग-द्यूत यथा, हस्त-पाद-हीनो वा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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