SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०२,१०,३,१-९ १-९ - ॥धचा ॥ सा एव भणेप्पिणु गलगजेप्पिणु चलणेहिँ अप्फालेवि महि । खर-दूसण-वीरहुँ अतुल-सरीरहुँ गय कूवारें चन्दणहि ॥१० [३] 5 रोवन्ति पधाइय दीण-वयण जलहर जिह तिह वरिसन्ति णयण ॥१ लम्वन्ति लम्व-कडियल-समग्ग णं चन्दण-लयहें भुअङ्ग लग्ग ॥ २ वीया-मयलञ्छण-सण्णिहेहिँ अप्पाणु वियारिउ णिय-णहेहिँ ॥ ३ रुहिरोल्लिय थण-घिप्पन्त-रत्त णं कणय-कलस कुङ्कम विलित्त ॥४ णं 'दावइ लक्खण-राम-कित्ति णं खर-दूसण-रावण-भवित्ति ॥५ " णं णिसियर-लोयहाँ दुक्ख-खाणि णं मन्दोयरिहें सुपुरिस-हाणि ॥ ६ णं लङ्कहें पइसारन्ति सङ्क णिविसेण पत्त पायाललङ्क ॥७ णिय-मन्दिरें धाहावन्ति णारि णं खरदूसणहाँ पइट्ठ मारि ॥ ८ ॥घत्ता ॥ कूवारु सुणेप्पिणु धण पेक्खेप्पिणु राएं वलेंवि पलोइयउ । 15 तिहुयणु संघारेवि पलउ समारेवि णाई कियन्तें जोइयउ॥ ९ [४] कूवारु सुर्णेवि कुल-भूसणेण चन्दणहि पपुच्छिय दूसणेण ॥१ . 'कहें केणुप्पाडिउ जमों णयणु कहें केण पजोइउ काल-वैयणु ॥२ कहि केण कियन्तहों कियउ मरणु कहि केण कियउ विस-कन्द-चरणु ॥३ 20 कहि केण वद्ध पवणेण पवणु कहि केण दड्ड जलणेण जलणु ॥ ४ कहि केण भिण्णु वजेण वज्जु कहि केण धरिउ जलु जलेंण अज्ज ॥५ कहि केण भाणु उण्हेण तविउ कहि केण समुद्दु तिसाएँ खविउ ॥ ६ 'कहि केण खुडिउ फणि-मणि-णिहाउ कहें केण सहिउ सुर-कुलिस-घाउ ॥ ७ कहें केण हुआसणे झम्प दिण्ण कहें केणं दसाणण-पाय छिण्ण' ॥८ ॥ धत्ता ॥ चन्दणहि पवोल्लिय अंसुजलोल्लिय 'जण-वल्लहु महु तणउ सुउ। . ओलग्गइ पाणेहिँ तिणय-समाणेहिँ णरवइ सम्वुकुमार मुर्ड' ॥९ 3. 1 P 8 °लयहें, A °लयहिं. 2 Ps धावह. 3 P °रामण. 4 P °लोयहुँ, s लोयहु. 5 P दूसणहु. . 4. 1 A वयणु. 2 s omits this pāda and line. 3 A °जरण. 4 Ps कासु. 5 PS मिण्ण. 68 मुभो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy