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क० ५.१-९, ६, १-९,७,१-२] उज्झाकण्डं-सत्ततीसमो संधि [१२५
. [५] .. आयण्णेवि सम्वुकुमार-मरणु संतावण-सोय-विओय-करणु ॥१ पविरल-मुहु वाह-भरन्त-णयणु दुक्खाउरु दर-ओहुल्ल-वयणु ॥ २ खरु रुयइ स-दुक्खउ 'अतुल-पिण्डु हा अज्जु पडिउ महु वाहु-दण्डु ॥३ हा अजु जाय मणे गरुअ सङ्क हा अज्जु सुण्ण पायाललङ्क ॥४ हा णन्दण सुर-पञ्चाणणासु कवणुत्तर देमि दसाणणासु' ॥ ५ एत्थन्तरे ताम तिमुण्ड-धारि वहु-बुद्धि पजम्पिउ वम्भयारि ॥ ६ 'हे णरवइ मूढा रुअहि काइँ संसार भमन्तहुँ सुअ-सयाइँ ॥७ आयाइँ मुआईं गयाइँ जाइँ को सक्कइ राय गणेवि ताइँ ॥८
॥ घत्ता ॥ कहाँ घर कहाँ परियण कहाँ सम्पय-धणु माय वप्पु कहाँ पुत्त तिय । के कजे रोवहि अप्पर सोयहि भव-संसारहों एह किय' ॥९
जं दुक्खु दुक्खु संथविउ राउ पडिवोलिउ णिय-धरिणिऍ सहाउ ॥१ 'कहें केण वहिउ महु तणउ पुत्तुं तं वयणु सुर्णेवि धणिआएँ वुत्तु ॥३ 'सुणु णरवइ दुग्गमें दुप्पवेसें दुग्घोट्ट-थट्ट-घट्टण-पवेसें ॥ ३ पश्चाणण-लक्खुक्खय-कराले तहिं तेहऍ दण्डय-वणे विसालें ॥४ वे मणुस दिट्ट सोण्डीर वीर मेहारविन्द-सण्णिह-सरीर ॥ ५ कोवण्ड-सिलीमुह-गहिय-हत्थ पर-वल-वल-उत्थल्लण-समत्थ ॥ ६ तहिँ एक्कु दिदु तियसहुँ असज्झु तें लइउ खग्गु हउ पुत्तु मज्झु ॥७ ॥ अण्णु वि अवलोवहि देव देव कक्खोरु वियारिउ पेक्खु केव ॥८.
॥ धत्ता॥ वणे धरेंवि रुयन्ती धाह मुअन्ती कह वि ण भुत्त तेण गरेण ।णिय-पुण्णेहिँ चुक्की जह-मुह-लुक्की लिणि जेम सरें कुञ्जरेंण'॥९
[७] तं वयणु सुर्णेवि वहु-जाणएहिँ उवलक्खिय अण्णहिँ राणएहिँ ॥१ 'मालूर-पवर-पीवर-थणाएँ पर एयइँ कम्मइँ अंडयणाएँ ॥२ 5. 1 A पविरलु बहु वाह°. 2 P दसासणासु. 3 A सोवहि. 6. 1 PS A घरणिए. 2 A तणउं. 3-4 वलु पल्हस्थण. 4 PS कहे वि. [६] १ कक्षा हृदयं. २ नख-मुखैः विदारिता. [७] १ पुंश्चल्याः .
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